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Wheat Exports Banned: 13 May 2022 भारत ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर तुरंत प्रभाव से लगाई रोक, कीमत कंट्रोल करने के लिए सरकार का बड़ा फैसला

डीजीएफटी ने बताया कि प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है। पहले प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित था।

Wheat Exports भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने इसके संबंध में आधिकारिक जारी की है। हालांकि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा गया कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी।

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Wheat Exports पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार डीजीएफटी ने कहा कि

गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है। डीजीएफटी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी। एक अलग अधिसूचना में डीजीएफटी ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की। डीजीएफटी ने कहा, ‘‘प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है।’’ पहले प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित था।

Wheat Exports निर्यात पर प्रतिबन्ध का कारण बताते हुए सरकार ने बताया

“देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए, केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। शिपमेंट के मामले में निर्यात की अनुमति दी जाएगी। अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर और सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी।”

Wheat Exports भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

इस साल गेहूं का उत्पादन 9.5 करोड टन रहने का अनुमान जताया गया है जबकि सरकार ने 10.5 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया था। यानी कि सरकार के आंकड़ों से करीब एक करोड़ टन कम गेहूं का उत्पादन हो सकता है। गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है, इसके कारण आटे की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।

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बढ़ती महंगाई से लोगों का बुरा हाल है और इससे आम आदमी का बजट बिगड़ा हुआ है। कई कंपनियों ने इस बढ़ती महंगाई के बीच सामानों के दाम तो नहीं बढ़ाए हैं लेकिन उसके वजन को जरूर कम कर दिया है। रिटेल महंगाई दर पिछले 8 सालों में अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है।

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