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Vaibhav Suryavanshi : “ग़म से खुशी तक का सफर: वैभव सूर्यवंशी ने रचा IPL में इतिहास”

Vaibhav Suryavanshi : (Tehelka Desk) महज 14 साल के बिहार के युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी ने अपनी पहली ही आईपीएल पारी में दमदार प्रदर्शन किया। उन्होंने दो चौके और तीन छक्के जड़े, भले ही एडन मार्करम की गेंद पर स्टंप आउट हो गए, लेकिन उनका आत्मविश्वास और जज़्बा सबका दिल जीत गया। कभी ग़म में डूबे इस लड़के की आंखों में आज खुशी के आंसू हैं।

Vaibhav Suryavanshi : 14 साल का जज़्बा, वैभव सूर्यवंशी ने दिल जीत लिया”

Vaibhav Suryavanshi : आईपीएल में जब 14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने डेब्यू किया, तो किसी ने नहीं सोचा था कि एक बच्चे की सी उम्र का यह खिलाड़ी इतना बड़ा दिल दिखा देगा। लखनऊ के खिलाफ पहली ही गेंद पर शार्दुल ठाकुर को छक्का जड़कर वैभव ने बता दिया—डर उन्हें छू भी नहीं सकता। पहली पारी में 34 रन, दो चौके और तीन छक्के।

आउट हुए तो आंखों में आंसू थे, लेकिन वो आंसू हार के नहीं, कुछ कर दिखाने की भूख के थे। अगला मैच आरसीबी के खिलाफ, और भुवनेश्वर कुमार जैसे वर्ल्ड क्लास गेंदबाज़ को भी वैभव ने दो छक्के लगाकर चौंका दिया। 12 गेंदों में 16 रन—छोटा स्कोर, लेकिन दिलेरी बड़ी। जब विराट कोहली भी उसकी बल्लेबाज़ी देखकर मुस्कुराए, तो साफ हो गया—ये लड़का खास है।

Vaibhav Suryavanshi
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Vaibhav Suryavanshi : “पहले ग़म में रोया था, अब खुशी में वैभव सूर्यवंशी ने 14 साल की उम्र में ठोक दिया शतक”

कभी आउट होने पर आंखों से बहते आंसुओं ने इस बात की गवाही दी थी कि वैभव सूर्यवंशी सिर्फ खेलने नहीं, इतिहास रचने आए हैं। और फिर वो पल आया जिसका आईपीएल और क्रिकेट प्रेमियों को बेसब्री से इंतज़ार था। गुजरात टाइटंस के खिलाफ महज 35 गेंदों में शतक, और कुल 38 गेंदों में 101 रन — इसमें शामिल थे 7 चौके और 11 छक्के

Vaibhav Suryavanshi : ये कोई सामान्य पारी नहीं थी, ये उस छोटे से लड़के का जज़्बा था, जो हर बॉल पर अपनी कहानी लिख रहा था। जब प्रसिद्ध कृष्णा की गेंद पर बड़ा शॉट लगाने की कोशिश में वैभव बोल्ड हुए, तो इस बार आंखों में आंसू थे—मगर ग़म के नहीं, गर्व और खुशी के आंसू। पवेलियन लौटते हुए उनकी आंखें भरी थीं, लेकिन चेहरा मुस्कुरा रहा था। 14 साल के इस बिहार के लाल ने न सिर्फ रन बनाए, बल्कि लाखों दिलों को छू लिया।

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Vaibhav Suryavanshi : “जब गुरु भी भावुक हो उठे: वैभव के शतक पर खड़े हुए राहुल द्रविड़”

28 अप्रैल 2025 की रात सिर्फ एक क्रिकेट मैच की रात नहीं थी — यह उस सपने की रात थी जो एक 14 साल के लड़के की बल्लेबाज़ी ने साकार किया। वैभव सूर्यवंशी के बल्ले से निकला शतक सिर्फ आंकड़ों में नहीं था, वो एक जज़्बा था, एक जुनून था, जिसने सबका दिल जीत लिया। और जब यह शतक पूरा हुआ, तो वो नज़ारा देखने लायक था — राहुल द्रविड़, जिन्हें मैदान पर शांत और संयमित रहने के लिए जाना जाता है, अपनी कुर्सी से खड़े हो गए।

Vaibhav Suryavanshi : गुरु ने शिष्य की इस उपलब्धि पर वही गर्व जताया, जो एक पिता अपने बेटे की पहली उड़ान पर करता है। द्रविड़ की आंखों में चमक थी, मुस्कान में गर्व। ये वही पल था जिसने बता दिया कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, रिश्तों, संघर्षों और सपनों की कहानी है। वैभव ने उस रात सिर्फ शतक नहीं लगाया, उन्होंने अपने गुरु को एक ऐसी खुशी दी, जिसकी गूंज बरसों तक सुनाई देगी।

Vaibhav Suryavanshi : “निडरता की मिसाल: वैभव सूर्यवंशी ने वर्ल्ड नंबर वन गेंदबाज़ को भी हिला दिया”

Vaibhav Suryavanshi : क्रिकेट के मैदान पर जब 14 साल का वैभव सूर्यवंशी खड़ा होता है, तो उम्र सिर्फ एक संख्या लगती है। गुजरात टाइटंस के खिलाफ मैच में जब दुनिया के नंबर एक टी-20 स्पिनर राशिद खान गेंदबाज़ी करने आए, तो हर कोई मान रहा था कि वैभव दबाव में आ जाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा—पहली ही गेंद पर वैभव ने जिस निडरता और आक्रामकता से शॉट लगाया, उसने दर्शकों ही नहीं, खुद राशिद को भी मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। राशिद के हर गेंद पर वैभव का इरादा साफ था—डरना नहीं, खेलना है, यही जज़्बा था जिसने 14 साल के इस लड़के को रातोंरात स्टार बना दिया।

Vaibhav Suryavanshi : बिहार के इस होनहार का सफर कमाल का रहा है। 27 मार्च 2011 को जन्मे वैभव ने महज 12 साल 284 दिन की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया। विजय हजारे ट्रॉफी में 42 गेंदों में 71 रन बनाकर वो लिस्ट-ए में सबसे कम उम्र में अर्धशतक लगाने वाले भारतीय खिलाड़ी बने। फिर आया इंटरनेशनल मंच—चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 58 गेंदों पर धमाकेदार शतक और सबसे तेज़ युवा टेस्ट शतक का रिकॉर्ड।

एसीसी अंडर-19 एशिया कप में दो अहम अर्धशतक लगाकर उन्होंने भारत को फाइनल तक पहुंचाने में भी बड़ा योगदान दिया। वैभव की हर पारी एक नई कहानी कहती है—संघर्ष से, साहस से और सपनों से भरी हुई। यह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा है, जो दिखाता है कि अगर जज़्बा हो, तो उम्र कभी आड़े नहीं आती।

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