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Uttarkashi Landslide : यमुनोत्री पैदल मार्ग पर मची अफरा- तफरी, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

(Tehelka Desk)Uttarkashi Landslide :

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में Yamunotri Dham की ओर जाने वाले मुख्य पैदल मार्ग पर सोमवार, 23 जून 2025 को भयंकर भूस्खलन की घटना ने हड़कंप मचा दिया। यह घटना यमुनोत्री यात्रा मार्ग के कंची भैरव मंदिर के समीप हुई, जहां भारी बारिश के बाद अचानक एक विशाल चट्टान और मलबा गिर गया, जिससे दर्जनों श्रद्धालु संकट में आ गए।

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भूस्खलन के कारण दो श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें एक 12 साल की बच्ची शामिल है। वहीं, एक घायल श्रद्धालु को सुरक्षित निकाल लिया गया है। प्रशासन के अनुसार अभी कुछ और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है।

Uttarkashi Landslide : भूस्खलन की भयावहता, मौत का मंजर और मलबे का दबाव

घटना के अनुसार, भूस्खलन इतनी तेज गति से हुआ कि वहां मौजूद यात्रियों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। पहाड़ी से अचानक बड़े-बड़े पत्थर और भारी मलबा नीचे गिरा, जो मुख्य पैदल मार्ग को पूरी तरह अवरुद्ध कर गया। यह मार्ग हजारों तीर्थयात्रियों की आवाजाही का मुख्य जरिया है, विशेष रूप से यमुनोत्री धाम की यात्रा के दौरान।

प्रशासन का कहना है कि अभी तक दो शव निकाले जा चुके हैं। एक मृतका की पहचान महाराष्ट्र से आई जो 12 साल की बच्ची के रूप में हुई है। एक अन्य मृतक की शिनाख्त अभी बाकी है। वहीं, मुम्बई निवासी एक श्रद्धालु ‘रासिक’ को घायल अवस्था में मलबे से बाहर निकाला गया और प्राथमिक चिकित्सा देकर अस्पताल भेजा गया।

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Uttarkashi Landslide : रेस्क्यू ऑपरेशन, रात्रि में भी जारी बचाव कार्य

घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। मौके पर SDRF, NDRF, स्थानीय पुलिस, वन विभाग, और चिकित्सा टीम को तैनात किया गया। रात्रि में भी ऑपरेशन जारी रखने के लिए हाई मास्ट लाइट और ट्रैक्टर लाइट लगाए गए हैं। जेसीबी और अन्य मशीनरी से मलबा हटाने का कार्य चल रहा है।

SDRF के एक अधिकारी ने बताया कि मलबे की गहराई और फैलाव इतना अधिक है कि वहां काम करना जोखिम भरा है। बावजूद इसके टीमों ने बिना रुके रेस्क्यू जारी रखा है।

Uttarkashi Landslide : प्रशासन की सतर्कता, जिले से लेकर राज्य स्तर तक निगरानी

जिलाधिकारी उत्तरकाशी, प्रशांत आर्य, स्वयं नियंत्रण कक्ष से स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वे लगातार राहत दलों से संपर्क में हैं और हर आवश्यक संसाधन तत्काल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमों को अलर्ट पर रखा गया है और 108 एम्बुलेंस सेवा भी स्थान पर मौजूद है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की देरी न हो, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

Uttarkashi Landslide : भारी बारिश बनी खतरे की जड़

घटना के पीछे मुख्य कारण हालिया भारी बारिश मानी जा रही है, जो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही है। बारिश के कारण चट्टानें ढीली हो गईं और यह दुर्घटना हुई। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और अधिक बारिश की संभावना जताई है, जिससे यमुनोत्री मार्ग के अन्य हिस्सों में भी भूस्खलन की आशंका बनी हुई है।

पिछले एक सप्ताह में यमुनोत्री मार्ग पर स्वास्थ्य कारणों और भूस्खलन के चलते कुल 17 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, जिससे यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

Uttarkashi Landslide : स्थानीय लोगों की मदद और सहयोग

स्थानीय ग्रामीणों और स्वयंसेवकों ने भी प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्यों में योगदान दिया। कई ग्रामीणों ने मलबे में दबे यात्रियों की मदद के लिए खुद फावड़े लेकर राहत कार्य में भाग लिया। स्थानीय दुकानें और धर्मशालाओं ने भी रात में यात्रियों को आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया।

Uttarkashi Landslide : भविष्य की तैयारी और सुझाव

प्रशासन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों में तीर्थयात्रियों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें और स्थानीय अधिकारियों से मार्ग की स्थिति के बारे में पूछताछ करें। पैदल मार्ग पर यात्रा करते समय हेलमेट, वॉटरप्रूफ जैकेट और प्राथमिक चिकित्सा किट रखने की भी सलाह दी गई है।

इसके साथ ही, वन विभाग और PWD को मानसून से पहले मार्ग की भौगोलिक स्थिति की जांच कर मरम्मत कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

Uttarkashi Landslide : चेतावनी का समय

यह घटना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटन और तीर्थयात्रा का संचालन अत्यधिक सतर्कता और योजनाबद्ध ढंग से किया जाए। भूस्खलन जैसे खतरे को ध्यान में रखते हुए रूट प्लानिंग, मॉनिटरिंग और आपदा प्रबंधन को और अधिक सशक्त बनाना अब समय की आवश्यकता है।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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