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Uttarkashi Cloudburst : कुदरत का कहर,बादल फटने से मजदूर बहे, बचाव कार्य जारी

(Tehelka Desk)Uttarkashi Cloudburst :

घटना का समय और स्थान

Hotel Management
  • उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में Silai Bend, Barkot–Yamunotri राष्ट्रीय राजमार्ग
  •  रविवार की देर रात लगभग रात 2 बजे, जब एक भीषण क्लाउडबर्स्ट ने मजदूरों के शिविर को बहा दिया।
  • इस दौरान 29 मजदूर शिविर में सो रहे थे—20 बच निकले, 2 की शव मिली, और 7 अभी भी लापता हैं ।

Uttarkashi Cloudburst :  जिंदा बचे मजदूरों की आपबीती

नेपाल के हरी कृष्ण चौधरी ने बताया की पांच सेकेंड की देरी होती, तो मेरी जान चली जाती, हमने दोस्तों को नहीं बचा पाए, यह सपना कभी नहीं भूलेगा। पानी एकदम ऊपर आया जिससे कई मजदूरों ने बताया कि पानी जबरदस्त रूप से ऊपर उठकर, शिविर पर गोला बनाकर गिरा, जिससे जिसे एहसास नहीं हुआ तुरंत बह गया।

बचाव अभियान की चुनौतियाँ, बुरी दृश्यता और कठिन इलाके में देर रात और अंधेरा था, तलछट का स्तर बढ़ा हुआ था, जिसकी वजह से SDRF, NDRF और पुलिस की टीम केवल देर रात अभियान रोक सकी ।

Uttarkashi Cloudburst :  अगली सुबह फिर शुरू होगा अभियान

मुख्यमंत्री धामी और जिलाधिकारी ने विभागों को सुरक्षा और तैयारी के साथ सुबह दोबारा अभियान चलाने के निर्देश दिए । भीगती लोकेशन में, रोड भी अवरुद्ध था, जिस कारण मशीनों से काम कठिनाइयों भरा रहा।

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Char Dham Yatra को 24 घंटा स्थगित किया गया जहां सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम अहम था।

मौसम की तीव्रता और इसके कारण

  • इस मानसून में बारिश जल्दी शुरू हुई और तीव्र भी है, जिससे उत्‍तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएँ पिछले साल से दोगुनी हुईं, जून में 65 मौतें, जबकि पिछले साल 32 थीं।
  • रोड वाइडनिंग परियोजनाओं के कारण ढलान कमजोर हुए हैं भूस्खलन की आशंका बढ़ी है ।

प्रशासन ने क्या कदम उठाए?

  • मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सभी वंचितों की मदद होगी और अभियान तेज होगा ।
  • NDRF की 20 कंपनियाँ, SDRF और स्थानीय पुलिस, PWD और BRO टीम एक-दूसरे से समन्वय कर बचाव कार्य में जुटे होंगे ।
  • रास्ते अवरुद्ध हुए, जिन्हें PWD crews ने धीरे-धीरे हटाया—लेकिन मलबा और बड़े पत्थर चुनौती बने हुए हैं।

मजदूरों के परिवारों की चिंता

  • अधिकांश मजदूर नेपाल और बिहार से थे, जो कमाई के लिए यहां आते थे—उनके परिवार घर में बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
  • कई ने हर दिन फोन करने की उम्मीद जताई है जहां लेकिन मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित रहा, जिससे परिवार से संपर्क टूट गया।

यह दर्द सिर्फ एक घटना नहीं

  • पिछले कुछ दिनों में छोटे-छोटे इलाकों में भूस्खलन और हादसों की आवृत्ति बढ़ी है, जिससे जिले की संवेदनशीलता जाहिर होती है ।
  • समुदाय और राजनेता आगे आकर कहते हैं कि पहनावा-सुरक्षा पर सामूहिक समझौता जरूरी है।

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Silai Bend की यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदा का सामना तेज़ी से तेज़ी से बदलते मानसून में जोखिम बन गया है।

  • जिंदा बचे मजदूरों की कथाएँ मरने वालों की याद के रूप में गूंजती हैं।
  • प्रशासन, मौसम विभाग, सुरक्षा एजेंसियों और जनता—सभी की सक्षम नॉन-स्टॉप योजना इस दुर्घटना को नियंत्रित करने का उदाहरण है।
  • लेकिन भविष्य के लिए तैयारी और निरीक्षण ज़रूरी है—यह बार-बार ऐसी घटनाओं को दोहराने से रोक सकती है।

हम सभी को यह उम्मीद है कि बचावकरण की तेज प्रतिक्रिया, परिवारों को सांत्वना, और भविष्य की योजना—यह सब मिलकर इसी त्रासदी से आगे निकलने का रास्ता देगा।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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