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Uttarakhand : लोकसभा अध्यक्ष के दौरे में प्रोटोकॉल उल्लंघन, डीएम से स्पष्टीकरण तलब
(Tehelka Desk) Uttarakhand :
दौरे के दौरान चूक
Uttarakhand की राजधानी देहरादून में हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया गया दौरा चर्चाओं के केंद्र में है। खबर है कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन देखने को मिला और डीएम से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। राज्य सरकार और लोक प्रशासन दोनों ही सतर्क हैं कि ऐसी कोई चूक दोबारा न हो।
Uttarakhand : क्या हुआयात्रा के दौरान
- लोकसभा अध्यक्ष जब देहरादून पहुँचे, तो आम तौर पर उनके आगमन, यात्रा मार्ग और स्वागत के लिए साफ़-गोई निर्देश होते हैं, और उसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।
- लेकिन इस बार, स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उन्हें राज्यपाल या मुख्यमंत्री की उपस्थिति में उचित झंडी-स्वागत नहीं दिया गया और जर्ब देरी हुई—जो गंभीर प्रोटोकॉल उल्लंघन माना गया।
- मामला तब तूल पकड़ गया जब लोकसभा सचिवालय ने मुख्य अभियुक्त जिला प्रशासन यानी डीएम से लिखित स्पष्टीकरण मांगा।
Uttarakhand : प्रोटोकॉल उल्लंघन क्यों गंभीर
- लोकसभा अध्यक्ष संवैधानिक पदधारी हैं, जिनका दौरा राज्य में सीधी जनप्रतिनिधि और राज्य अधिकारीयों से संबंध रखता है।
- प्रोटोकॉल में देरी या लापरवाही, सरकारी छवि को धक्का, शिष्टाचार वाद, और राजनीतिक असंतोष की संभावना पैदा करता है।
- इससे राज्य की साख और राष्ट्रपति के प्रतिनिधि कार्यों पर सवाल उठ सकते हैं।
Uttarakhand : डीएम से स्पष्टीकरण तलब
- शासन द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, डीएम से पूछा जा रहा है कि:
- लोकसभा अध्यक्ष को सम्मान देने में कौन-सी प्रक्रियात्मक चूक हुई?
- तारीख, समय और अधिकारियों की अनुपस्थिति की क्या वजह रही?
- भविष्य के लिए प्रशासन ने क्या सुधारात्मक कदम तय किए हैं?
- स्पष्टीकरण के साथ, प्रोटोकॉल विभाग और गृह विभाग में रिपोर्ट सौंपी जानी है।
Uttarakhand : राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
- विपक्षी पार्टियों ने इसे राज्य सरकार की लापरवाही बताया है और राजनीतिक हमला किया है विशेष रूप से विधानसभा में सवाल खड़े हुए हैं।
- भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि विदेश नीति, राज्य-संघीय संबंध, और लोकशिष्टाचार को कोई हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
- जबकि सरकार की ओर से कहा गया है कि यह मानवीय भूल थी, “निकट भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।”
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Uttarakhand : क्या ये पहली बार हुआ
- उत्तराखंड में पहले भी कई बार प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले सामने आ चुके हैं:
- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने चतुर्वर्गीय पोर्टल गलती से रोक ली थी।
- मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान ASP या DM टेलीफोन पर बात करते देखे गए थे, और अधिकारीयों को तबादला भी झेलना पड़ा था ।
- यह प्रकरण इस लिहाज से दर्शाता है कि राज्य के प्रशासन को ऐसे दौरों के लिए तैयार रहना चाहिए।
- लोकशीर्षक स्तर पर ऐसी घटनाएँ जनता में विश्वास की गिरावट पैदा कर सकती हैं।
- राज्य की साख दूसरों राज्यों और केंद्र पर असर डालती है और इसलिए इसका रोकथाम जरूरी है।
- लोकसभा अध्यक्ष जैसे शासकीय दौरे राजनीतिक संतुलन और संवैधानिक व्यवस्था के प्रतीक होते हैं जिसका सम्मान जरूरी होता है।
प्रोटोकॉल का उल्लंघन किसी तकनीकी गलती से नहीं देखा जा सकता यह राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी और सार्वजनिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। डीएम से स्पष्टीकरण तलब करना एक जरूरी कदम है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। समय रहते सुधार, TRAINING और सतर्कता प्रशासन की जवाबदेही होती है और जिस सार्वजनिक पद को वह संभाल रहा है, उसका गणित सही ढंग से निभाना ही सच्ची सेवा होगी।