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UP Schools Protest: 27 हजार स्कूलों पर ताला? शिक्षकों का पांच दिन का हल्ला बोल

(Tehelka Desk) UP Schools Protest: 

Uttar Pradesh  में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर विवादों के घेरे में है। राज्य के करीब 27 हजार परिषदीय स्कूलों के बंद होने की आशंका जताई जा रही है। वजह सरकारी नीतियों और शिक्षकों की लंबित मांगों को लेकर गुस्सा। शिक्षकों ने ऐलान किया है कि वे कल से पांच दिन तक बड़ा आंदोलन करेंगे। अगर सरकार ने मांगे नहीं मानीं तो तालेबंदी भी हो सकती है।

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UP Schools Protest:  क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों  में लाखों बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों में तैनात शिक्षकों और शिक्षामित्रों का कहना है कि सरकार ने कई वादे किए थे लेकिन ज्यादातर मांगें अब तक अधूरी हैं।

मुख्य मांगे क्या हैं?

  • शिक्षामित्रों का स्थायी समायोजन
  • पुरानी पेंशन योजना की बहाली
  • स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता
  • खाली पदों पर नई भर्तियां
  • वेतन विसंगतियों को दूर करना

UP Schools Protest:   क्यों भड़के शिक्षक?

शिक्षक संगठनों का आरोप है कि सरकार बार-बार आश्वासन देती रही, लेकिन अमल के नाम पर कुछ नहीं हुआ। पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन लंबे समय से चल रहा है। शिक्षामित्रों का मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर विधानसभा तक गूंज चुका है लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।

अब शिक्षकों का धैर्य जवाब दे गया है। कई संगठन एकजुट होकर हल्ला बोलने की तैयारी में हैं।

UP Schools Protest:   क्या कह रहे हैं शिक्षक संगठन?

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने कहा है कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा लेकिन जरूरत पड़ी तो स्कूलों में ताला डालकर काम रोका जाएगा।

एक शिक्षक नेता ने कहा  की  “हम सरकार से झगड़ा नहीं चाहते, लेकिन मांगों को अनसुना किया जा रहा है। हम बच्चों की पढ़ाई रोकना नहीं चाहते लेकिन मजबूरी में आंदोलन करना पड़ रहा है।”

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UP Schools Protest:   कितने स्कूलों पर पड़ेगा असर?

प्रदेश में करीब 1.58 लाख परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें से 27 हजार स्कूल ऐसे बताए जा रहे हैं जहां बड़ी संख्या में शिक्षक आंदोलन में शामिल होंगे। अगर पांच दिन की हड़ताल लंबी खिंच गई तो लाखों बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा।

सरकार का क्या कहना है?

सरकार की तरफ से शिक्षा विभाग ने फिलहाल शिक्षकों से आंदोलन वापस लेने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि मांगों पर विचार चल रहा है और बातचीत के जरिए हल निकाला जाएगा।

कुछ अफसरों ने शिक्षकों को चेतावनी भी दी है कि स्कूलों में तालेबंदी जैसे कदम उठाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

UP Schools Protest:   शिक्षकों की नाराजगी का राजनीतिक असर

उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के शिक्षक और शिक्षामित्र चुनावी समीकरणों में बड़ी भूमिका निभाते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि सरकार शिक्षकों को साधने की कोशिश करेगी। लेकिन मांगें लंबित रहने से नाराजगी बढ़ गई है।

कई राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को हवा देने में लगे हैं। विपक्षी पार्टियां सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही हैं।

UP Schools Protest:   बच्चों के अभिभावक परेशान

शिक्षकों के आंदोलन से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों और उनके अभिभावकों को हो रही है। पहले ही कोरोना काल में पढ़ाई का बड़ा नुकसान हो चुका है। अब स्कूलों में ताला लगने से बच्चों की पढ़ाई फिर ठप हो सकती है।

कई माता-पिता कह रहे हैं कि सरकार को जल्द कोई हल निकालना चाहिए ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो।

क्या है पुरानी पेंशन योजना का मामला?

पुरानी पेंशन बहाली की मांग सिर्फ शिक्षकों की नहीं बल्कि पूरे देश के सरकारी कर्मचारियों की है। यूपी में भी शिक्षक लंबे समय से इसके लिए आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि नई पेंशन स्कीम से उन्हें रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित भविष्य की गारंटी नहीं है।

कई राज्यों में सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने की घोषणा कर दी है। इसी वजह से यूपी के शिक्षक भी दबाव बना रहे हैं।

UP Schools Protest:   आंदोलन का आगे क्या होगा?

फिलहाल शिक्षक संगठन पांच दिन के आंदोलन पर अडिग हैं। अगर इस बीच सरकार कोई ठोस आश्वासन नहीं देती तो आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल सकता है।

सरकार के लिए यह बड़ा सिरदर्द बन सकता है क्योंकि सितंबर में स्कूलों में परीक्षाओं और कई सरकारी कार्यक्रमों का शेड्यूल है।

उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चों की पढ़ाई फिर एक बार शिक्षकों के आंदोलन के कारण रुकने के कगार पर है। शिक्षक अपनी मांगों को लेकर सही हैं या गलत  यह बहस का विषय हो सकता है। लेकिन बच्चों का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार और शिक्षक संगठनों को एक टेबल पर बैठकर हल निकालना ही होगा।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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