SpaceX Axiom-4 : शुभांशु शुक्ला ने रचा अंतरिक्ष में इतिहास, आसमान को चीरता रॉकेट अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना
(Tehelka Desk)SpaceX Axiom-4 :
शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान
25 जून 2025 का दिन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया, जब भारतीय मूल के वैज्ञानिक Shubhanshu Shukla ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी Axiom Space और SpaceX के साझा मिशन Axiom-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर सफलतापूर्वक उड़ान भरी।
उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री इस मिशन का हिस्सा हैं, लेकिन पूरी दुनिया की निगाहें शुभांशु शुक्ला पर टिकी हैं, जो भारत से जुड़े होने के कारण देश का नाम गौरवान्वित कर रहे हैं।
SpaceX Axiom-4 : कानपुर से अंतरिक्ष तक, प्रेरणादायक सफर
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से आने वाले शुभांशु शुक्ला ने बचपन से ही आसमान को नज़दीक से देखने का सपना देखा था। वे एक मेधावी छात्र रहे और बाद में उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल की।
Axiom Space की चयन प्रक्रिया को पार करते हुए उन्होंने Axiom-4 मिशन में अपनी जगह बनाई। इस मिशन के ज़रिए वे माइक्रोग्रैविटी में जैविक परीक्षण, स्पेस टेक्नोलॉजी इनोवेशन और मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभावों पर अध्ययन करेंगे।
SpaceX Axiom-4 : भविष्य की नींव
Axiom-4 मिशन निजी अंतरिक्ष यात्राओं की दिशा में दुनिया का चौथा मानव मिशन है, जिसे Axiom Space द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसका प्रमुख उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी स्पेस स्टेशन के भविष्य की नींव रखना है।
इस मिशन के जरिए:
- अंतरिक्ष यात्रियों को 14 दिन अंतरिक्ष में रहना है
- Crew Dragon कैप्सूल द्वारा उन्हें ISS तक पहुँचाया जा रहा है
- मिशन में शामिल वैज्ञानिक 20 से अधिक प्रयोग करेंगे
Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission : ड्रैगन कैप्सूल तैयार, थोड़ी देर में अंतरिक्ष की उड़ान
SpaceX Axiom-4 : Falcon 9 रॉकेट और Crew Dragon कैप्सूल, तकनीक की उड़ान
शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम को SpaceX के Falcon 9 रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया। यह रॉकेट पृथ्वी की कक्षा तक यात्रियों को पहुंचाने में सक्षम है। इसके लिए
- री-यूज़ेबल टेक्नोलॉजी के कारण किफायती
- ऑटोमैटिक Docking System के साथ
- Crew Dragon कैप्सूल में ऑक्सीजन, फूड सप्लाई और AI सपोर्ट सिस्टम
लॉन्च के दौरान पहले तीन मिनट बेहद अहम थे, जिनमें रॉकेट को अधिकतम वायुदाब (Max-Q) और चरण-विभाजन की प्रक्रिया से गुजरना होता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह सफल रही।
SpaceX Axiom-4 : वैज्ञानिक अनुसंधान और नेतृत्व
मिशन में शुभांशु शुक्ला की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। वह विशेष रूप से निम्नलिखित कार्यों को देख रहे हैं:
- कोशिका विज्ञान पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव
- अंतरिक्ष में मनोवैज्ञानिक अनुकूलन और थकान प्रबंधन
- स्पेस मैटेरियल और नैनो टेक्नोलॉजी परीक्षण
- छात्रों के लिए पृथ्वी पर लौटकर शैक्षणिक कार्यक्रमों में सहभागिता
SpaceX Axiom-4 : लॉन्चिंग के दौरान देश में उत्साह
- शुभांशु की उड़ान को लेकर भारत में ज़बरदस्त उत्साह देखा गया। स्कूलों और कॉलेजों में लाइव टेलीकास्ट दिखाया गया। सोशल मीडिया पर #ShubhanshuInSpace और #IndiaInSpace जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं देते हुए कहा की शुभांशु शुक्ला की सफलता भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है। यह वैज्ञानिक स्वावलंबन और वैश्विक भागीदारी का प्रतीक है।
SpaceX Axiom-4 : ISS पर अनुसंधान का एजेंडा
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने के दौरान मिशन दल कई वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे:
- स्पेस फार्मिंग पर अनुसंधान
- अंतरिक्ष रेडिएशन का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- Earth Observation: जलवायु परिवर्तन और मौसम प्रणाली का अध्ययन
- स्पेस मेडिसिन नई दवाइयों के प्रभाव का परीक्षण
SpaceX Axiom-4 : भविष्य के लिए तैयारियां
- Axiom-4 मिशन भविष्य के निजी स्पेस स्टेशन Axiom Station की नींव का हिस्सा है। साल 2030 तक ISS के रिटायर होने की संभावना है, और Axiom Space इसी अंतरिक्ष स्टेशन को प्रतिस्थापित करने की योजना पर कार्य कर रही है।
- इस दिशा में शुभांशु शुक्ला जैसे युवा वैज्ञानिकों की भागीदारी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक होगी।
SpaceX Axiom-4 : देश के युवाओं को संदेश
- शुभांशु ने एक वीडियो संदेश में कहा था अगर आपके सपने धरती से ऊंचे हैं, तो मेहनत की ताकत आपको अंतरिक्ष तक जरूर पहुंचाएगी।
- उनका यह संदेश भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है खासकर उन छात्रों के लिए जो विज्ञान, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं।