Rakesh Pratap Singh : गौरीगंज में गरजे बागी विधायक राकेश प्रताप, अखिलेश पर साधा सीधा निशाना
(Tehelka Desk)Rakesh Pratap Singh :
अखिलेश यादव पर व्यक्तिगत हमला, बोले, अगर मैं तालियां बजाता, तो आज बागी न होता
समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह रविवार को पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र गौरीगंज लौटे। वह भाले सुल्तान पार्क में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में शामिल हुए। यह उनकी सपा निष्कासन के बाद की पहली जनसभा थी। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कीं, बल्कि Akhilesh Yadav और समाजवादी पार्टी की कार्यशैली पर भी तीखे प्रहार किए।
“अगर मैं तालियां बजाता तो आज बागी न होता”
जनसभा के दौरान भावुक होते हुए राकेश प्रताप सिंह ने कहा “अगर मैं रामचरितमानस को जलाने पर तालियां बजाता, अगर सनातन धर्म के अपमान पर चुप रहता, तो शायद आज भी सपा में होता। लेकिन मैंने धर्म और आस्था के साथ समझौता नहीं किया। मैं अपमान सह गया, लेकिन सनातन का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता।” उनका यह बयान सीधा-सीधा सपा के अंदर चल रही वैचारिक राजनीति और धार्मिक मामलों में पार्टी की चुप्पी की ओर इशारा करता है।
भाले सुल्तान पार्क में शक्ति प्रदर्शन
सभा स्थल पर भारी भीड़ मौजूद रही। समर्थकों ने नारेबाज़ी की और “राकेश प्रताप सिंह ज़िंदाबाद” के नारों से माहौल गर्मा दिया। यह साफ झलक रहा था कि क्षेत्र की जनता अभी भी उनके साथ खड़ी है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे “राजनीतिक पुनर्जन्म” के तौर पर देख रहे हैं।
“मुझे गौरीगंज की जनता पर भरोसा है” की राकेश प्रताप सिंह ने कहा “मेरी राजनीति रहे या ना रहे, मैं विधायक रहूं या ना रहूं, मुझे गौरीगंज की जनता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूं कि मेरी आस्था, मेरे संस्कार और मेरे विचारों के साथ जनता खड़ी है।”
यह बयान सत्ताधारी दलों और विरोधियों दोनों के लिए एक साफ संदेश था कि वह मैदान नहीं छोड़ेंगे, चाहे पार्टी साथ दे या नहीं।
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अखिलेश यादव पर साधा निशाना , जाट की राजनीति’
राकेश प्रताप सिंह ने अखिलेश यादव पर जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा “मैं यादव हूं, लेकिन मैं धर्म से पहले कोई जाति नहीं मानता। सपा आज जाट और यादव की राजनीति तक सीमित रह गई है। बाकी समाज को हाशिए पर डाल दिया गया है।”
इस बयान के ज़रिए उन्होंने सपा के जातिगत समीकरणों पर सवाल खड़े किए और यह दर्शाया कि पार्टी की आंतरिक नीतियों से वे अब पूरी तरह असहमत हैं।
क्या है पृष्ठभूमि?
राकेश प्रताप सिंह को समाजवादी पार्टी ने विधानसभा में पार्टी लाइन के खिलाफ़ बयान देने और अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित किया था। पार्टी सूत्रों के मुताबिक़, उन्होंने कई मौकों पर पार्टी की नीतियों की आलोचना की थी और कथित तौर पर हिंदू हितों को लेकर पार्टी से असहमति जताई थी।
राजनीतिक समीकरणों में हलचल
गौरीगंज और आस-पास के क्षेत्रों में यह सभा राजनीतिक हलचल का कारण बन गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
- राकेश प्रताप सिंह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।
- वह किसी हिंदुत्व आधारित पार्टी या क्षेत्रीय दल से गठबंधन कर सकते हैं।
- भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने भी उनकी ‘धार्मिक प्रतिबद्धता’ की सराहना की है।
जनता का रुख
सभा में आई स्थानीय महिलाओं और बुज़ुर्गों ने बताया कि वे राकेश प्रताप सिंह को “धर्म के सच्चे रक्षक” के रूप में देखती हैं।
“वो अकेले नेता हैं जो धर्म के लिए खड़े होते हैं, बाकी तो सिर्फ़ वोटों की राजनीति करते हैं,” – एक स्थानीय निवासी
राकेश प्रताप सिंह का यह दौरा सिर्फ़ एक जनसभा नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक संदेश था। उन्होंने साफ कर दिया है कि सनातन धर्म और हिंदू अस्मिता के साथ कोई भी समझौता उन्हें मंज़ूर नहीं, भले ही उन्हें इसकी कीमत अपनी राजनीतिक स्थिति से चुकानी पड़े।
सवाल यह है कि क्या वे अब स्वतंत्र राजनीति करेंगे या किसी नई पार्टी की ओर रुख करेंगे? क्या उनका ये कदम क्षेत्रीय और प्रदेश राजनीति को नई दिशा देगा?
आने वाले विधानसभा चुनावों में इस सभा का असर ज़रूर देखने को मिलेगा।