Rajya Sabha 2025: असम में एनडीए की बड़ी जीत, दो उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित
Rajya Sabha 2025:
असम से राज्यसभा की दो सीटों पर हुए चुनाव में BJP के क़ानद पुरकायस्थ और असम गण परिषद के वरिष्ठ नेता बिरेंद्र प्रसाद बैश्य निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। यह जीत न केवल एनडीए की मजबूत राजनीतिक पकड़ को दर्शाती है, बल्कि विपक्ष की कमजोरी और संगठनात्मक विफलता को भी उजागर करती है। भाजपा और AGP, दोनों दलों के लिए यह जीत आगामी राजनीतिक समीकरणों को तय करने में अहम मानी जा रही है।
Rajya Sabha 2025: एनडीए की रणनीतिक बढ़त
एनडीए ने इस चुनाव में एक बार फिर अपनी रणनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया। BJP ने क़ानद पुरकायस्थ को मैदान में उतार कर एक युवा और मजबूत संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाले चेहरे को चुना, जबकि AGP ने अपने अनुभवी नेता बिरेंद्र प्रसाद बैश्य को तीसरी बार राज्यसभा भेजा। ये दोनों उम्मीदवार विधानसभा में बहुमत के चलते पहले से ही प्रबल दावेदार थे, लेकिन विपक्ष के मैदान छोड़ने से उनकी निर्विरोध जीत तय हो गई।
Rajya Sabha 2025: क़ानद पुरकायस्थ, नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व
क़ानद पुरकायस्थ, असम भाजपा के प्रभावशाली युवा नेताओं में से एक हैं। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री कबिंद्र पुरकायस्थ के बेटे हैं, जिनकी असम के दक्षिणी हिस्सों में गहरी पकड़ रही है। पार्टी के संगठनात्मक काम में उनकी भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। राज्यसभा में उनका प्रवेश भाजपा के युवा नेतृत्व को नई ऊर्जा देने वाला कदम माना जा रहा है।
उनकी छवि एक शिक्षित, आधुनिक सोच वाले नेता की है, जो पूर्वोत्तर भारत के मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर बेहतर ढंग से रखने में सक्षम माने जाते हैं।
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Rajya Sabha 2025: बिरेंद्र प्रसाद बैश्य, अनुभव और विश्वसनीयता का नाम
AGP के वरिष्ठ नेता बिरेंद्र प्रसाद बैश्य के लिए यह राज्यसभा में तीसरी पारी है। वे पहले भी राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में असम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। केंद्रीय रेल राज्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा है। बैश्य की जीत AGP के लिए सम्मान और भरोसे की वापसी है।
उनकी राजनीतिक सादगी, स्वच्छ छवि और जमीनी स्तर पर पकड़ ने उन्हें एक विश्वसनीय नेता बनाया है, जिसे एनडीए के साझीदार के रूप में राज्यसभा भेजा जाना एक रणनीतिक निर्णय है।
Rajya Sabha 2025: विपक्ष की गैरहाजिरी पर सवाल
इस चुनाव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। कांग्रेस, जो पहले असम में प्रमुख विपक्षी पार्टी हुआ करती थी, इस समय अंदरूनी कलह और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है।
विधानसभा में उनके केवल 20 विधायक बचे हैं, जिनमें से 5 निलंबित चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में विपक्ष के लिए यह चुनाव लड़ना पहले से ही मुश्किल था।
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस का चुनाव से पीछे हटना संगठनात्मक विफलता और जमीनी समर्थन की कमी का प्रतीक है। असम में विपक्ष को खुद को पुनः संगठित करने की गंभीर आवश्यकता है।
Rajya Sabha 2025: राज्यसभा में असम की भूमिका
राज्यसभा में असम की कुल सात सीटें हैं, जिनमें से अब छह एनडीए के पास हैं। यह स्थिति केंद्र सरकार के विधायी एजेंडे के लिए फायदेमंद है, खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र से संबंधित मामलों में।
असम की राज्यसभा सीटों पर एनडीए की मजबूत पकड़ यह संकेत देती है कि आगामी वर्षों में भी पूर्वोत्तर की राजनीतिक दिशा भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों द्वारा ही तय की जा सकती है।
Rajya Sabha 2025: राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दोनों उम्मीदवारों को बधाई दी और इसे “असम की राजनीति के लिए स्थिरता और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया। उन्होंने विपक्ष की अनुपस्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “राज्य की जनता ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि उन्हें किस नेतृत्व पर भरोसा है।”
दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया बेहद सीमित रही। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठनात्मक पुनर्गठन के बाद वे 2026 के विधानसभा चुनावों में मजबूती से वापसी करेंगे।
राज्यसभा चुनाव में असम से एनडीए की यह निर्विरोध जीत कई मायनों में अहम है। यह न केवल BJP और AGP के बीच मजबूत गठबंधन को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि विपक्ष फिलहाल राज्य की राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुका है।
जहां एक ओर BJP युवा नेतृत्व को आगे बढ़ा रही है, वहीं AGP अपने अनुभवी चेहरों के सहारे राजनीतिक संतुलन बना रही है। यह जीत भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।