Puri Rath Yatra 2025 : पुरी में भगदड़ का त्रासदी, तीन श्रद्धालुओं की मौत, 50 से अधिक घायल
Headings
- 1 Shefali Jariwala Death: दुल्हन की तरह सजाई गई ‘कांटा लगा’ गर्ल की अंतिम यात्रा
- 1.0.1 पुलिस व्यवस्था का अभाव
- 1.0.2 प्राथमिक चिकित्सा और राहत कार्य, घायल श्रद्धालुओं का इलाज
- 1.0.3 मंत्री और सरकारी प्रतिक्रिया
- 1.0.4 जांच की शुरुआत, विशेष जांच का एलान
- 1.0.5 पिछली घटनाओं के संदर्भ
- 1.0.6 सुरक्षा व्यवस्था, क्या गलत हुआ, भीड़ नियंत्रण में कमी
- 1.0.7 वाहनों का ट्रैफिक
- 1.0.8 त्रासदी से पहले सुरक्षा तैयारी
- 1.0.9 प्रशासनिक व आबादी की प्रतिक्रिया, स्थानीय प्रशासन का बयान
- 1.0.10 श्रद्धालु और स्थानीय लोग
- 1.0.11 सामुदायिक भूमिका
- 1.0.12 जागरूकता और शिक्षा
- 1.0.13 पुरी की पुकार
(Tehelka Desk)Puri Rath Yatra 2025 :
हादसे का समय और स्थान
रविवार, 29 जून 2025, लगभग सुबह 4:00 से 5:00 बजे के बीच, पुरानी Puri Rath Yatra की धूम-धाम से पुरी के गुंडीचा मंदिर के पास साराधाबली क्षेत्र में भगदड़ मच गई। चिद्रचंद्र-मार्ग पर हजारों की भीड़ एक साथ रथों की ओर भाग रही थी, तभी यह भयानक घटना घटी।
मृत्यु और घायल श्रद्धालु
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन श्रद्धालु इस भगदड़ में जख्मी होकर मारे गए, जबकि करीब 50 अन्य घायल हुए। घायलों में से कई को गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती कराया गया था । 12 को ICU में रखा गया और कई को प्राथमिक उपचार देकर छुट्टी दे दी गई है ।
मृतकों की पहचान इस प्रकार है:
- प्रेमकांत मोहनत, 80 साल ।
- बसंती साहू, 36 साल ।
- प्रभाति दास, 42 साल।
भगदड़ कैसे शुरू हुई, भीड़ की असामान्य संख्या
रथयात्रा के दौरान लाखों की जुटी भीड़ में अति उत्साह ने स्थिति को संवेदनशील बना दिया। सामाजिक और धार्मिक आस्था के चलते लोग रथों के नजदीक पहुंचने की हड़बड़ी में थे ।
Shefali Jariwala Death: दुल्हन की तरह सजाई गई ‘कांटा लगा’ गर्ल की अंतिम यात्रा
वाहनों का प्रवेश
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लकड़ी ले जा रहे ट्रक और अन्य वाहन अत्यधिक भीड़ वाले साराधाबली इलाके में घुस आए, जिससे भगदड़ तेज़ हो गई ।
पुलिस व्यवस्था का अभाव
दर्जनों श्रद्धालुओं ने भीड़ नियंत्रण की कमी और ठीक से तैनात न होने वाली पुलिस व्यवस्था की बात कहते हुए भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया ।
प्राथमिक चिकित्सा और राहत कार्य, घायल श्रद्धालुओं का इलाज
स्थानीय पुरी जिला चिकित्सालय और आसपास के छोटे अस्पतालों में घायलों का इलाज चलाचिलाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद बड़ी संख्या को डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं को ICU में स्थान दिया गया ।
मंत्री और सरकारी प्रतिक्रिया
ओडिशा के कानून मंत्री प्रभातिराज हरिचंदन ने दुख जताया और घटना की उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया।
“जिनकी लापरवाही से यह हुआ, उन पर सख्त कार्रवाई होगी”।
जांच की शुरुआत, विशेष जांच का एलान
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कानून मंत्री को मामले की त्वरित जांच का निर्देश दिया। जांच टीम को बताया गया कि चाहे कितनी भी भीड़ हो, सुरक्षा इंतजाम कड़ाई से लागू हों ।
पिछली घटनाओं के संदर्भ
पिछले सालों में भी रथयात्रा के दौरान भगदड़ें और दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिससे यह स्पष्ट है कि भीड़ नियंत्रण व्यवस्था में बदलाव की आवश्यक है ।
सुरक्षा व्यवस्था, क्या गलत हुआ, भीड़ नियंत्रण में कमी
घनत्व वाले क्षेत्रों में स्टील बैरिकेड्स, रूपी के तारों और पर्याप्त पुलिस/सेक्युरिटी गार्ड्स की कमी भगदड़ की प्रमुख वजह रही ।
वाहनों का ट्रैफिक
भीड़ से भरे रास्ते में वोल भूमिगत वाहन आवागमन इंसान-भीड़ को और अस्थिर बना देती है। रथयात्रा के दौरान वाहनों का प्रवेश सिक्यॉरिटी प्लान के खिलाफ था ।
त्रासदी से पहले सुरक्षा तैयारी
हालांकि NSG स्नाइपर्स, IAF हेलीकॉप्टर और ड्रोन निगरानी के तौर पर सुरक्षा बढ़ाई गई थी, लेकिन भगदड़ रोकने के उद्देश्य से भीड़ नियंत्रण के साधन संक्रमण में fail थे ।
प्रशासनिक व आबादी की प्रतिक्रिया, स्थानीय प्रशासन का बयान
पुलिस ने कहा कि यह एक “stampede-like स्थिति” थी, जिसमें लोग घुटन व घबराहट के कारण गिरे और ऊपर से चल दिए गए। घटना को एक “अनहोनी” बताया गया और कहा गया कि इसलिए जांच तेज़ी से हो रही है ।
श्रद्धालु और स्थानीय लोग
कई श्रद्धालु और स्थानीय लोग भीड़ और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं। “हमें बेहतर बैरिकेडिंग और पर्याप्त पुलिस चाहिए थी।
आगे की क्या रणनीति, सुरक्षा व नियंत्रण में सुधार
अगली रथयात्रा से पहले प्रशासन को चाहिए कि:
- भीड़ नियंत्रण के लिए सख्त स्टील बैरिकेड्स
- भीड़ घनत्व मॉनीटरिंग के लिए AI‑ड्रोन निगरानी
- वाहनों के लिए नो-एंट्री ज़ोन बनाकर ट्रैफ़िक रोका जाए।
सामुदायिक भूमिका
स्थानीय समुदाय, सेवायत और स्वयंसेवी संगठन मिलकर छोटे-छोटे दल बनाए, जो भीड़-प्रबंधन में मदद करें और श्रद्धालुओं को मार्ग दिखाएँ।
जागरूकता और शिक्षा
झुंड के बीच सावधानी बरतने, घुटन या धक्का की स्थिति में शांत रहने, पुलिस का सामना न करने और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने जैसे कदमों के बारे में श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाना चाहिए।
पुरी की पुकार
गुंडीचा मंदिर के पास भगदड़ ने पुरी के धार्मिक माहौल को ठंडा कर दिया। तीन प्राणों की क्षति और 50 से अधिक घायल, यह हमारे लिए एक स्पष्ट संकेत है कि धार्मिक आयोजन भीड़ सुधार, सुरक्षा और संगठन में निखार के बिना पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते। भव्य सुरक्षा इंतजामों के बावजूद मामूली चूक भारी कीमत में तब्दील हो सकती है—जिसका जीता-जागता उदाहरण यह त्रासदी है। आने वाले आयोजनों में बेहतर तैयारी, तकनीकी मदद और समाज के सहयोग को मिलाकर ही हम ऐसी घटनाओं से बच सकते हैं और जनता की आस्था को सुरक्षित रख सकते हैं।