Headings
Navratri Day 8 : Tehelka Desk : नवरात्रि का आठवां दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी को समर्पित होता है। माँ महागौरी को सौंदर्य, शांति, करुणा और शुद्धता की देवी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। माँ महागौरी की उपासना से मन शुद्ध होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत श्वेत, सुंदर और तेजस्वी है।
- उनका वर्ण पूर्णतः गौर (सफेद) है, इसी कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है।
- वे चार भुजाओं वाली हैं।
- एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरे में वरमुद्रा और चौथे में अभयमुद्रा होती है।
- उनका वाहन बैल (नंदी) है।
- वे सफेद वस्त्र, सफेद आभूषण, और शांत मुखमंडल वाली देवी हैं, जो भक्तों को शांति, पवित्रता और दिव्यता प्रदान करती हैं।
माँ महागौरी का स्वरूप संपूर्ण शुद्धता और तपस्या का प्रतीक है।
Also Read : Dehradun-Delhi Expressway: रात में भी दिखेगा दिन जैसा नजारा, एक्सप्रेसवे पर लगेंगी 800 विशेष लेंस-बेस्ड लाइट
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कठोर तप के कारण उनका शरीर पूरी तरह काला पड़ गया था।
जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें स्वीकार किया, तो उन्होंने माँ के शरीर को गंगाजल से स्नान कराया। इसके बाद माँ का शरीर चमकदार सफेद हो गया और वे महागौरी कहलाईं।
इस स्वरूप में माँ अत्यंत सौम्य, दयालु और करुणामयी हैं, जो अपने भक्तों के समस्त पापों को हरकर उन्हें शांति और मोक्ष प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा पूर्ण भक्ति और ध्यान के साथ करनी चाहिए। इस दिन अष्टमी पूजन और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, विशेषकर सफेद या हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- माँ महागौरी की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
- उन्हें सफेद पुष्प, चावल, रोली, चंदन, कुमकुम आदि अर्पित करें।
- माँ को नारियल, हलवा-पूरी, चने, गुड़ और दूध से बनी चीजें भोग में चढ़ाएं।
- “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती के पाठ या महागौरी स्तुति का पाठ करें।
- अंत में आरती कर, प्रसाद वितरण करें।
अष्टमी के दिन नव कन्याओं और एक लांगूर (बालक) को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजन करने की परंपरा है।
- उन्हें पाँव धोकर, तिलक लगाकर, वस्त्र, भोजन और दक्षिणा दी जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि कन्याओं में ही नवदुर्गा का वास होता है, और उनके पूजन से माँ अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
- कन्या पूजन करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और शक्ति का वास होता है।
माँ महागौरी की उपासना से प्राप्त होने वाले लाभ
- पापों का नाश – माँ की पूजा से व्यक्ति के पूर्व जन्म और वर्तमान जीवन के पाप नष्ट होते हैं।
- विवाह में आ रही अड़चनों का निवारण – विशेष रूप से कन्याओं को माँ की आराधना से लाभ होता है।
- मन की शांति और शुद्धता – साधक का मन शांत होता है और आत्मा पवित्र होती है।
- सौंदर्य और तेज़ – माँ की कृपा से शरीर और मन दोनों में दिव्यता का संचार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति – माँ की उपासना से साधक का मन भक्ति और साधना में स्थिर होता है।
माँ महागौरी की पूजा राहु ग्रह के कुप्रभाव को शांत करने के लिए की जाती है।
- जिनकी कुंडली में राहु अशुभ फल दे रहा हो या राहु काल में परेशानी हो, उन्हें माँ महागौरी की उपासना से अत्यंत लाभ होता है।
- माँ की कृपा से जीवन की उलझनें सुलझती हैं और सकारात्मकता आती है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में माँ महागौरी की पूजा भव्य रूप में की जाती है:
- उत्तर भारत में अष्टमी को कन्या पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
- बंगाल में यह दिन महाअष्टमी के रूप में बहुत पावन होता है, जहाँ दुर्गा पंडालों में विशेष पूजा, भोग और आरती होती है।
- गुजरात और महाराष्ट्र में भी यह दिन गरबा और जागरण के माध्यम से मनाया जाता है।
माँ महागौरी की साधना से सप्तम चक्र (सहस्रार चक्र) जाग्रत होता है।
- यह चक्र ब्रह्मज्ञान और दिव्य ऊर्जा का केंद्र है।
- साधक को आत्मिक शांति, दिव्यता और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन मिलता है।
- वे योग और ध्यान की ऊँचाई को प्राप्त करने में सहायक होती हैं।