Headings
- 1 Mock Drill Alert : शीत युद्ध की याद दिलाती तैयारी, लेकिन आज भी उतनी ही जरूरी
- 2 Mock Drill Alert : ड्रिल में सायरन से लेकर शरण तक — जानिए क्या-क्या होगा खास
- 3 Mock Drill Alert : पहलगाम हमले के बाद बढ़ी सतर्कता, मॉक ड्रिल बनी तैयारी का हिस्सा
- 4 Mock Drill Alert : हर राज्य को देनी होगी रिपोर्ट, तैयारी की होगी गंभीर समीक्षा
Mock Drill Alert : (Tehelka Desk) 7 मई 2025 को देश के 244 जिलों में एक राष्ट्रीय सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस अभ्यास में ब्लैकआउट, सायरन, नागरिकों की सुरक्षा कवायद और आपात निकासी जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी। इसका मकसद है यह देखना कि युद्ध जैसे हालात – जैसे मिसाइल या हवाई हमलों – में आम लोग और आपात सेवाएं कितनी तेजी और कुशलता से प्रतिक्रिया दे सकती हैं।
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है, और गृह मंत्रालय ने इसे अनिवार्य कर दिया है। इस ड्रिल के जरिए लोगों को घबराने से बचाने, सही समय पर सही कदम उठाने और जान-माल की हिफाजत के लिए तैयार किया जाएगा।
Also Read : भारतीय रक्षा वेबसाइटों पर पाकिस्तानी साइबर अटैक, कई वेबसाइट हैक करने का किया दावा
Mock Drill Alert : शीत युद्ध की याद दिलाती तैयारी, लेकिन आज भी उतनी ही जरूरी
7 मई को होने जा रही राष्ट्रीय सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल भले ही शीत युद्ध के दौर की याद दिलाती हो, लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात ने इसे फिर से प्रासंगिक बना दिया है। गृह मंत्रालय ने 2 मई को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं कि यह अभ्यास सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 के तहत हर हाल में कराया जाए।
Mock Drill Alert : इस अभ्यास में सिर्फ प्रशासन नहीं, बल्कि समाज के हर हिस्से की भागीदारी होगी — सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, NCC, NSS, नेहरू युवा केंद्र के स्वयंसेवक और स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं मिलकर इसे अंजाम देंगे। इसका मकसद साफ है: अगर कोई आपदा या हमला हो, तो आम नागरिक घबराएं नहीं, बल्कि समझदारी से और समन्वय में कदम उठाएं। यह ड्रिल हमें यह भी याद दिलाती है कि देश की सुरक्षा केवल सीमा पर तैनात जवानों की नहीं, बल्कि हर नागरिक की साझी ज़िम्मेदारी है।
Mock Drill Alert : ड्रिल में सायरन से लेकर शरण तक — जानिए क्या-क्या होगा खास
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक तैयारी है — जिसमें हर आम नागरिक की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इस अभ्यास के दौरान संवेदनशील इलाकों और संस्थानों में सायरनों का परीक्षण किया जाएगा ताकि किसी हमले की स्थिति में लोगों को तुरंत सतर्क किया जा सके। स्कूलों, दफ़्तरों और समुदाय केंद्रों में वर्कशॉप्स होंगी जहां लोगों को सिखाया जाएगा कि खतरे के वक्त कैसे गिरकर खुद को ढंकें, नजदीकी शरण स्थलों को कैसे पहचानें, प्राथमिक उपचार कैसे दें, और मानसिक तनाव को कैसे संभालें।
Mock Drill Alert : ड्रिल का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा होगा अचानक बिजली की कटौती — जिससे रात में शहर को दुश्मन की नजर से छिपाया जा सके। यह रणनीति आखिरी बार 1971 के बांग्लादेश युद्ध के समय अपनाई गई थी। साथ ही, मिलिट्री बेस, संचार टावर और पावर प्लांट जैसी सामरिक इमारतों को ढकने की भी तैयारी की जाएगी ताकि वे सैटेलाइट या हवाई हमले से बच सकें। हाई-रिस्क क्षेत्रों से लोगों की सुरक्षित जगहों पर निकासी का अभ्यास भी किया जाएगा, ताकि असली आपात स्थिति में कोई रुकावट न आए।
Mock Drill Alert : पहलगाम हमले के बाद बढ़ी सतर्कता, मॉक ड्रिल बनी तैयारी का हिस्सा
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय सैलानियों की जान चली गई। बताया जा रहा है कि इसके पीछे पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठनों का हाथ था। इस हमले के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पहले से भी ज्यादा सतर्क हो गई है।
Mock Drill Alert : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च-स्तरीय बैठकें कीं और सख्त संदेश देते हुए कहा, “हम साज़िश करने वालों को ऐसी सजा देंगे जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।” दरअसल, सिविल डिफेंस को लेकर यह तैयारी अचानक नहीं आई है। अक्टूबर 2022 में हुए ‘चिंतन शिविर’ में भी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि देश की सुरक्षा सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए — जनता भी तैयार और जागरूक होनी चाहिए।
Mock Drill Alert : हर राज्य को देनी होगी रिपोर्ट, तैयारी की होगी गंभीर समीक्षा
गृह मंत्रालय ने साफ निर्देश दिए हैं कि ड्रिल के बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को एक “एक्शन टेकन रिपोर्ट” जमा करनी होगी। इस रिपोर्ट में बताया जाएगा कि क्या-क्या किया गया, क्या सीखा गया और आगे क्या बेहतर किया जा सकता है। इस दिशा में सरकार पहले से गंभीर है।
Mock Drill Alert : जनवरी 2023 में गृह सचिव ने भी एक पत्र भेजकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से खासतौर पर सीमावर्ती और तटीय इलाकों में सिविल डिफेंस की क्षमता बढ़ाने की अपील की थी। एक उदाहरण पहले ही पेश किया जा चुका है — भारत-पाकिस्तान सीमा के पास फिरोजपुर छावनी में 7 मई से पहले ही 30 मिनट की ब्लैकआउट ड्रिल कर के एक झलक दी गई कि तैयारी कैसी होनी चाहिए।