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Mock Drill 2025 : हरिद्वार समेत पांच जिलों में मॉक ड्रिल, गंगा में बहते युवक को बचाया गया
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(Tehelka Desk)Mock Drill 2025 :
क्यों और कब हुई ये Mock Drill ?
- उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश के हरिद्वार, गोरखपुर, गोंडा, प्रयागराज, वाराण में हाल‑फिलहाल में बाढ़ के दौरान बचाव प्रक्रिया का अभ्यास किया गया।
- इस अभ्यास का उद्देश्य था संभावित बाढ़ जैसी आपदा के लिए प्रशिक्षित बचाव बलों की तैयारियों की परख—जिसमें एनडीआरएफ/एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय स्वयंसेवक ने भाग लिया।
हरिद्वार: गंगा में बहता युवक, जीवनदान बनकर बचाव दल
- मॉक ड्रिल के दौरान गंगा नदी में बह रहा एक युवक अभिनव ढंग से बचाया गया,
- इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ/पुलिस की विशेष टीम ने बोट रेस्क्यू तकनीक और फ्लोटेशन उपकरणों का प्रयोग कर युवक को सुरक्षित किनारे पहुंचाया।
- यह डेमोंस्ट्रेशन दिखाता है कि वास्तविक स्थिति में बचाव दल रफ्तार और समन्वय से प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
अन्य जिलों की मॉक ड्रिल गतिविधियाँ
प्रयागराज :
- संगम, क़िलाघाट सहित कई घाटों में बचाव अभ्यास किया गया।
- NDRF‑पुलिस‑स्वास्थ्य विभाग ने दिखाया कि भीड़ और फंसे लोगों को कैसे निकाला जाए और प्राथमिक उपचार कैसे दिया जाए।
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वाराणसी:
- 118 तहसीलों में राज्य‑स्तरीय अभ्यास आयोजित, जिसमें नौका दुर्घटना, नाव पलटना और राहत शिविर शामिल थे।
- NDRF‑PAC‑स्वास्थ्य विभाग का फिल्ड लेवल अभ्यास प्रभावशाली था, जिसमें छह लोगों को नाव दुर्घटना से बचाया गया।
गोंडा:
- सरयू नदी में दो युवकों और एक पशु को बचाने बैठाव टोली ने सफल बचाव किया।
- स्थानीय डीएम और एसडीआरएफ की निगरानी में स्ट्रेचर, प्राथमिक चिकित्सा और राहत शिविर अभ्यास भी संपन्न हुआ।
गोरखपुर, कबीरधाम और अन्य:
- राप्ती नदी तट पर एनडीआरएफ/पीएसी ने नाव दुर्घटना आकस्मिकिता और प्राथमिक उपचार खाते विशेषज्ञ अभ्यास घोड़ा।
- राजस्व, स्वास्थ्य, पशुपालन, अग्निशमन सहित तमाम विभागों ने योगदान देकर बचाव क्षमता परखने का मौका पाया।
विशेषज्ञों की तैयारी में सटीक प्रतिक्रिया
- एडीएम, डीएम और SDM मौजूद थे, जो घटनास्थल पर तत्काल निर्णय ले सकते हैं।
- स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक जवाबदेही की गति बढ़ाई, जिससे बचाव दबाव में संतुलित कार्रवाई सुनिश्चित हुई।
वास्तविक बचाव में मददगार
- प्रयागराज में ट्रेनिंग अभ्यास के दौरान, एनडीआरएफ की वास्तविक बचाव टीम ने नौका दुर्घटना में फंसे नौ लोगों को बचाया था।
- इससे यह साफ होता है कि मॉक ड्रिल न केवल अभ्यास, बल्कि वास्तविक समय हादसों में भी काम आती है।
भविष्य के लिए नजर रखने योग्य सुझाव
- मॉक ड्रिल को नियमित अंतराल पर दोहराना चाहिए, ताकि तकनीक व प्रक्रिया सभी को याद रहे।
- आगामी मानसून से पहले बचाव दल को पूरे उपकरणों—फ्लोटेशन एड, बोट्स, मेडिकल किट—से लैस करना चाहिए।
- स्थानीय जागरूकता अभियान: ग्राम स्तर पर सहायता समूह, फोन अलर्ट सिस्टम, नाविकों में प्रशिक्षित बचाव दल तैयार हो सकें।
हरिद्वार समेत ये पांच जिलों में की गयी मॉक ड्रिल से स्पष्ट हुआ कि:
- बचाव तंत्र की कार्यक्षमता—समन्वय, तकनीक, जागरूकता—तीन स्तरीय रही।
- वास्तविक घटनाओं को देखते हुए सरकार ने कोई ‘डमी आकार’ अभ्यास नहीं, बल्कि असरदार जवाबदेही दिखाया।
- लेकिन इसे नियमित अभ्यास, बजट आवंटन, स्थानीय भागीदारी के साथ बढ़ाना जरुरी है।
उम्मीद की जाती है कि ये अभ्यास वास्तविक बाढ़ के समय जन-जीवन को बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।