Madhay Pardesh Datiya News : आधार केंद्र ‘जनसेवा केंद्र’ नहीं बल्कि ‘जनशोषण केंद्र’ बने, 400 तक की होती अंधी लुटाई
Headings
- 1 Madhay Pardesh Datiya News : आधार केंद्र बने लूट के अड्डे, जिला प्रशासन खामोश
- 2 Madhay Pardesh Datiya News : निर्धारित शुल्क की जगह खुली लूट
- 3 Madhay Pardesh Datiya News : प्रशासन मौन, लापरवाही या मिलीभगत?
- 4 Madhay Pardesh Datiya News : नियमों की हो रही अनदेखी
- 5 Madhay Pardesh Datiya News : शिकायतें, लेकिन कोई सुनवाई नहीं
- 6 Madhay Pardesh Datiya News : आम आदमी की गरिमा पर हमला
Madhay Pardesh Datiya News
Tehelka Desk संंवाददाता- लोकेश मिश्रा, दत्तिया, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश का दत्तिया जिले का आधार कार्ड केंद्र अब “जनसेवा केंद्र” नहीं, बल्कि “जनशोषण केंद्र” बन चुके हैं। सरकार की मुफ्त या नाममात्र शुल्क वाली सेवाएं अब यहां पर आम जनता की जेब काटने का जरिया बन गई हैं। इस केंद्र में बच्चों तक को नहीं बख्शा जा रहा, और प्रशासन अपनी जगह पर मूकदर्शक बना बैठा है। जहाँ आधार को भारत सरकार ने नागरिकों का मौलिक डिजिटल पहचान प्रमाण पत्र माना है, वहीं दतिया के कई आधार सेवा केंद्रों ने इसे कमाई का स्थायी साधन बना लिया है। ‘फिंगर दो या पैसे दो’ की तर्ज पर यहाँ हर अपडेट अब शुल्क से नहीं, लूट से जुड़ा है।
Madhay Pardesh Datiya News : आधार केंद्र बने लूट के अड्डे, जिला प्रशासन खामोश
दतिया – मध्य प्रदेश का दतिया जिला इन दिनों चर्चा में है, लेकिन किसी अच्छे कारण से नहीं, बल्कि आधार केंद्रों में हो रही खुलेआम लूट के चलते। सरकारी योजनाओं के लाभ, स्कूल प्रवेश, छात्रवृत्ति, राशन कार्ड और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ चुका आधार अब आम लोगों के लिए सहूलियत नहीं, सिरदर्द बन गया है। सरकार की ओर से दी जा रही मुफ्त या नाममात्र शुल्क वाली सेवाएं अब भ्रष्टाचार और शोषण का जरिया बन चुकी हैं।
जिले में स्थापित आधार सेवा केंद्रों का आलम यह है कि इन्हें अब “जनसेवा केंद्र” नहीं, बल्कि “जनशोषण अड्डा” कहा जा सकता है। आम नागरिकों की डिजिटल पहचान से जुड़ी सेवाएं इन केंद्रों पर अब लोगों की जेबें ढीली करने का जरिया बन गई हैं। नागरिकों से निर्धारित शुल्क से कई गुना ज़्यादा पैसा वसूला जा रहा है और सबसे दुखद बात यह है कि इस लूट में मासूम बच्चे तक नहीं बख्शे जा रहे।
Madhay Pardesh Datiya News : निर्धारित शुल्क की जगह खुली लूट
UIDAI के नियमों के अनुसार, आधार कार्ड में नाम, जन्मतिथि, पता या मोबाइल नंबर के अपडेट पर केवल ₹50 शुल्क लिया जाना चाहिए, लेकिन दतिया के अधिकतर आधार केंद्रों पर यह राशि ₹150 से ₹300 तक वसूली जा रही है। यह तो वयस्कों की बात है, सबसे चिंताजनक स्थिति तब देखने को मिलती है जब बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट – जो कि पूरी तरह नि:शुल्क हैं – के लिए भी ₹100 से ₹200 तक की वसूली की जाती है।
आज जब सरकारी योजनाओं और सुविधाओं के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया है, तब हर माता-पिता अपने बच्चों का आधार अपडेट कराने को मजबूर हैं। इसी मजबूरी का फायदा आधार केंद्रों के ऑपरेटर उठा रहे हैं। “फिंगर दो या पैसे दो” की तर्ज पर ऑपरेटर कहते हैं कि ₹200 नहीं दोगे तो सिस्टम में अपलोड नहीं होगा।
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Madhay Pardesh Datiya News : प्रशासन मौन, लापरवाही या मिलीभगत?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या जिला प्रशासन को इस खुले भ्रष्टाचार की जानकारी नहीं है? या फिर यह सब उसकी आंखों के सामने हो रहा है और वह मौन रहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रहा है? यदि प्रशासन अनभिज्ञ है तो यह लापरवाही की पराकाष्ठा है, और अगर जानकारी होते हुए भी कार्रवाई नहीं हो रही, तो यह भ्रष्टाचार की चुप सहमति है।
Madhay Pardesh Datiya News : नियमों की हो रही अनदेखी
आधार केंद्रों पर UIDAI द्वारा निर्धारित कुछ सख्त नियम हैं:
किसी भी सेवा पर निर्धारित शुल्क से अधिक वसूली नहीं की जा सकती।
बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट पूरी तरह नि:शुल्क हैं।
सेवा शुल्क की रसीद देना और शुल्क सूची प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
लेकिन दतिया में इन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अधिकांश केंद्रों पर शुल्क सूची नहीं लगी है और यदि कोई रसीद दी जाती भी है तो वह ₹50 की होती है, जबकि वसूली ₹200 तक की होती है। यदि कोई उपभोक्ता विरोध करे तो जवाब मिलता है – “जाना हो तो जाओ, लाइन लंबी है।”
Madhay Pardesh Datiya News : शिकायतें, लेकिन कोई सुनवाई नहीं
कई नागरिकों ने बताया कि शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई स्थानीय अधिकारी उपलब्ध नहीं होता। UIDAI की हेल्पलाइन 1947 पर कॉल करने पर भी सिर्फ यही कहा जाता है कि “ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें”, लेकिन ग्रामीण और अनपढ़ नागरिकों के लिए यह विकल्प भी लगभग निष्क्रिय है।
Madhay Pardesh Datiya News : आम आदमी की गरिमा पर हमला
आज जब आधार कार्ड एक सामान्य नागरिक की पहचान बन चुका है और उसकी हर सरकारी सुविधा उससे जुड़ गई है, तब उसी आधार को लूट और भ्रष्टाचार का माध्यम बना देना समाज के कमजोर वर्गों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है। अगर प्रशासन और सरकार इस शोषण पर अब भी चुप रहे तो यह लूट आने वाले समय में और भी संगठित रूप ले लेगी।
दतिया के आधार केंद्रों में जो हो रहा है, वह केवल अवैध वसूली नहीं, बल्कि सिस्टम पर जनता का विश्वास तोड़ने का कार्य है। अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन और UIDAI इस भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करे। प्रत्येक आधार केंद्र पर शुल्क सूची चस्पा की जाए, हर सेवा की रसीद अनिवार्य रूप से दी जाए, और शिकायत दर्ज करने के लिए एक प्रभावी स्थानीय व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
यदि यह सब अब भी नहीं किया गया, तो “जनसेवा” की जगह “जनसंत्रास” का एक नया अध्याय लिखा जाएगा और आधार – जो कभी सुविधा का प्रतीक था – अब जनता के शोषण का नया औजार बन जाएगा।
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