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 Kausambi Protest 2025 : योगी राज में पाठशालाएं बंद,  AAP का सरकार पर तीखा हमला

(Tehelka Desk) Kausambi Protest: 

कौशांबी में स्कूल बंदी के फैसले पर भड़की आप , कलेक्ट्रेट तक निकाला मार्च

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उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्रों वाले प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर पास के स्कूलों में मर्ज करने के फैसले का जोरदार विरोध किया।

बुधवार को मंझनपुर डायट मैदान में कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष मोहम्मद इलियास की अगुवाई में प्रदर्शन किया और हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की  “स्कूल बचाओ भविष्य बचाओ”।

Kausambi Protest:  कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

प्रदर्शनकारियों ने डायट मैदान से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकाला। कलेक्ट्रेट पहुंचने के बाद आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष मोहम्मद इलियास ने जिलाधिकारी को राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्कूल बंदी के फैसले को “शिक्षा के अधिकार कानून” और “बाल अधिकार अधिनियम” का खुला उल्लंघन बताया गया।

Kausambi Protest:  AAP का सीधा आरोप ,स्कूल बंद, शराब दुकान चालू

आम आदमी पार्टी ने योगी सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का सीधा आरोप लगाया। जिलाध्यक्ष मोहम्मद इलियास ने कहा  की “एक तरफ सरकार ने 2025 में 27,308 मंदिरालय खोले हैं और हजारों शराब के ठेके खोले जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ 26 हजार स्कूल पहले ही बंद हो चुके हैं और अब 27 हजार और बंद करने की तैयारी है। यह गांवों के बच्चों के साथ अन्याय है।”

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Kausambi Protest:   क्या कहता है शिक्षा का अधिकार कानून?

शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि कम छात्रों के नाम पर स्कूल बंद कर देना इस कानून के खिलाफ है।

कितने स्कूलों पर खतरा?

16 जून 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार, परिषदीय स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश है। आम आदमी पार्टी के मुताबिक, इस आदेश के बाद लगभग 27,000 स्कूलों पर ताले लग सकते हैं। इससे करीब 1,35,000 सहायक शिक्षकों और हजारों प्रधानाध्यापकों की नौकरी पर भी संकट खड़ा हो गया है।

Kausambi Protest:  “बच्चों को दूर भेजने की मजबूरी”

गांवों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए पास का स्कूल ही पढ़ाई की उम्मीद होता है। AAP नेताओं ने कहा कि स्कूल बंद होने पर बच्चों को 4-5 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जो गरीब परिवारों के लिए संभव नहीं होगा। इससे स्कूल ड्रॉपआउट की संख्या और बढ़ेगी।

ज्ञापन में क्या मांग की गई?

ज्ञापन में राज्यपाल से मांग की गई कि –

  • स्कूल बंदी का आदेश तत्काल वापस लिया जाए।
  • प्रत्येक गांव में न्यूनतम एक प्राथमिक विद्यालय अनिवार्य रूप से चालू रखा जाए।
  • शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए भर्ती की जाए, स्कूल बंद करने के बजाय उन्हें मजबूत किया जाए।
  • बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए, न कि शराब और नशे के ठेकों से युवाओं को भटकाया जाए।

Kausambi Protest:  ग्रामीणों और अभिभावकों में आक्रोश

प्रदर्शन में शामिल कई ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल बंद होने से गांवों में अशिक्षा बढ़ेगी। एक किसान नेता ने कहा  की “हमारे बच्चे खेतों में नहीं, स्कूल में पढ़ेंगे। अगर स्कूल ही बंद कर देंगे तो गांव के गरीब कहां जाएंगे?”

सरकार क्या कह रही है?

शासन स्तर पर अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों को बंद नहीं किया जा रहा, बल्कि पास के स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है ताकि संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो सके। लेकिन AAP नेताओं का कहना है कि हकीकत में ये स्कूल मर्जर के नाम पर बंद हो जाएंगे और गांवों के बच्चों की पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी।

Kausambi Protest:  क्या बोले जिलाध्यक्ष मोहम्मद इलियास?

जिलाध्यक्ष मोहम्मद इलियास ने कहा की “स्कूल बंद कर बच्चों को अनपढ़ और नशे की गिरफ्त में डालना सरकार की साजिश है। सरकार को ये फैसला तुरंत वापस लेना होगा। नहीं तो आम आदमी पार्टी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।”

Kausambi Protest:  आगे की रणनीति

AAP कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो प्रदेश के हर जिले में इसी तरह मार्च और धरना दिया जाएगा।जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री आवास का घेराव भी किया जाएगा।कौशांबी में आम आदमी पार्टी के इस प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया है कि स्कूल बंदी का फैसला इतना आसान नहीं होगा।गांवों के बच्चों की शिक्षा को बचाने के लिए अब राजनीतिक जंग तेज होती दिख रही है।देखना होगा कि सरकार इस दबाव में आदेश वापस लेती है या आंदोलन की आग और फैलती है।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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