उत्तराखंड - उत्तर प्रदेशराज्य-शहर

Kanwar Yatra 2025: सावन में कब से शुरू होगी पवित्र यात्रा, जानिए तिथि, महत्व और विशेष तैयारियाँ

(Tehelka News)Kanwar Yatra 2025: 

आस्था, भक्ति और श्रद्धा का पर्व

भारत की धार्मिक परंपराओं में Kanwar Yatra  एक प्रमुख तीर्थ यात्रा मानी जाती है, जो हर साल सावन महीने में शिव भक्तों द्वारा श्रद्धा और तपस्या के साथ पूरी की जाती है। यह यात्रा विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और दिल्ली में लोकप्रिय है। 2025 में भी लाखों श्रद्धालु गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने निकलेंगे। आइए जानते हैं कि इस बार कांवड़ यात्रा कब से शुरू हो रही है, इसका धार्मिक महत्व क्या है और सरकार व प्रशासन की तैयारियां किस दिशा में चल रही हैं।

Kanwar Yatra 2025:  कांवड़ यात्रा 2025 की तिथि और मुहूर्त

सावन का महीना 2025 में
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में  सावन माह की शुरुआत 10 जुलाई 2025 (गुरुवार) से हो रही है और समापन 8 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को होगा।

Hotel Management

Kanwar Yatra 2025:  कांवड़ यात्रा आरंभ होने की तिथि

कांवड़ यात्रा सावन मास के पहले सोमवार से लगभग एक सप्ताह पहले आरंभ हो जाती है, ताकि श्रद्धालु जल लेकर पहले सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ा सकें। इस बार कांवड़ यात्रा  संभावित रूप से 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से आरंभ होगी।

पहला सावन सोमवार:
14 जुलाई 2025 – इस दिन अधिकांश शिवभक्त अपने गंगाजल से जलाभिषेक करेंगे।

Kanwar Yatra 2025:  कांवड़ यात्रा क्या है और इसका महत्व

कांवड़ यात्रा का उद्देश्य:
श्रद्धालु गंगा नदी से जल भरकर पैदल अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। ये जल हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख, नीलकंठ, प्रयागराज, वाराणसी या देवघर जैसे पवित्र स्थलों से लाया जाता है। इसे शिव को चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।

Kanwar Yatra 2025:  पौराणिक मान्यता

कांवड़ यात्रा का संबंध समुद्र मंथन से भी जुड़ा है। मान्यता है कि जब भगवान शिव ने हलाहल विष को गले में धारण किया, तो उनके ताप को कम करने के लिए देवताओं ने उन्हें गंगाजल चढ़ाया। तभी से सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

Kanwar Yatra 2025:  कांवड़ यात्रा का स्वरूप और भक्ति का समर्पण

यात्रा का स्वरूप:
कांवड़िए विशेष पोशाक पहनते हैं, कांवड़ अपने कंधे पर उठाते हैं और नंगे पांव चलते हैं। कुछ लोग “डाक कांवड़” के रूप में दौड़ते हुए यात्रा करते हैं।

भक्ति और नियम:

  • यात्रा के दौरान मांस-मदिरा से परहेज
  • संयमित जीवन
  • रात्रि में विश्राम या विशेष शिविरों में ठहराव
  • पूरे मार्ग में “बोल बम” के जयघोष

Kanwar Yatra 2025:  अनुमानित श्रद्धालुओं की संख्या

  • 2024 की यात्रा में करीब 5 करोड़ श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से शामिल हुए थे। 2025 में यह संख्या और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। यात्रा की लोकप्रियता सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और सामूहिक भाव के कारण भी बढ़ी है।

Uttarakhand Panchayat Election 2025 : जहां मौसम बनेगा रोड़ा, वहां पहले होंगे पहले चरण के मतदान

प्रमुख गंतव्य: कहां-कहां से भरते हैं जल

उत्तर भारत के प्रमुख कांवड़ गंतव्य:

  • हरिद्वार (उत्तराखंड): सबसे ज्यादा कांवड़िए यहीं से जल भरते हैं।
  • गंगोत्री व गौमुख: कठिन और पर्वतीय मार्ग, मगर उच्च पुण्य के लिए प्रसिद्ध।
  • सुल्तानगंज (बिहार): देवघर (झारखंड) के लिए जल ले जाते हैं।
  • वाराणसी और प्रयागराज: पवित्र नदियों के संगम स्थल।

सरकारी तैयारियाँ, सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष जोर

कांवड़ यात्रा में हर साल करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं, जिससे राज्य सरकारों को बड़ी स्तर पर सुरक्षा, चिकित्सा, ट्रैफिक और प्रशासनिक व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। 2025 की यात्रा के लिए भी तैयारियाँ जोरों पर हैं:

प्रमुख इंतज़ाम:

  • स्पेशल कांवड़ मार्ग: सामान्य वाहनों से अलग रास्ता ताकि पैदल यात्री सुरक्षित रहें।
  • मेडिकल कैंप और एम्बुलेंस: हाईवे और कांवड़ रूट पर हर 5-10 किमी पर चिकित्सा सुविधा।
  • सीसीटीवी निगरानी और ड्रोन: सुरक्षा के लिए प्रमुख स्थानों पर निगरानी।
  • ट्रैफिक डायवर्जन और स्पेशल ट्रैफिक प्लानिंग: हरिद्वार, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद और दिल्ली के लिए विशेष ट्रैफिक योजना।
  • स्वच्छता और पानी की व्यवस्था: यात्रियों के ठहराव स्थलों पर साफ-सफाई और पेयजल की सुविधा।
  • पुलिस बल की तैनाती: संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त बल और शांति समितियों का गठन।

Kanwar Yatra 2025:   समाज और व्यापार पर प्रभाव

कांवड़ यात्रा न सिर्फ धार्मिक रूप से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गई है। इसके दौरान:

  • स्थानीय दुकानदारों की आय में वृद्धि
  • धार्मिक टूरिज्म को बढ़ावा
  • सामाजिक सौहार्द और सहयोग की भावना
  • कांवड़ सेवा शिविरों का आयोजन – मुफ्त भोजन, दवाई, विश्राम की व्यवस्था

Kanwar Yatra 2025:  आस्था के साथ अनुशासन जरूरी

  • बीते कुछ वर्षों में कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ स्थानों पर अनुशासनहीनता, ट्रैफिक जाम और युवाओं द्वारा बाइक स्टंट जैसे मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में प्रशासन और धार्मिक संगठनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे यात्रियों को संयम और मर्यादा का पालन करने के लिए प्रेरित करें।

आस्था की डगर पर अनुशासन का सहारा

  • कांवड़ यात्रा 2025, एक बार फिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और तपस्या का माध्यम बनेगी। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि भारतीय संस्कृति की सामूहिक चेतना का जीवंत उदाहरण भी है। इस वर्ष विशेष रूप से यात्रा की तिथियों और मौसम को ध्यान में रखते हुए समय पर योजनाएं बन रही हैं, जिससे यात्रा सुरक्षित, व्यवस्थित और श्रद्धापूर्ण ढंग से पूरी हो सके।
  • आइए, इस पावन अवसर पर शिवभक्ति में लीन होकर नियम, अनुशासन और सहअस्तित्व की भावना के साथ इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनें – बोल बम! हर हर महादेव!

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button