नई दिल्ली

Kalkaji Bhumihin Camp : कालकाजी के भूमिहीन कैंप पर चला DDA का बुलडोजर, सैकड़ों झुग्गियां ध्वस्त

Kalkaji Bhumihin Camp : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का अभियान लगातार जारी है। इसी कड़ी में, दक्षिण दिल्ली के कालकाजी स्थित भूमिहीन कैंप पर आज 11 जून, 2025  सुबह डीडीए ने एक बड़ी बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया। यह अभियान दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में किया गया है, जिसके तहत इस क्षेत्र में कथित अवैध अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश दिया गया था। इस कार्रवाई के दौरान सैकड़ों झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया, जिससे हजारों परिवारों के सामने बेघर होने का संकट खड़ा हो गया है।

Kalkaji Bhumihin Camp : सुबह से ही भारी पुलिस बल तैनात, विरोध के बावजूद कार्रवाई

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डीडीए की टीमें सुबह लगभग 6 बजे ही भारी संख्या में पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों के साथ भूमिहीन कैंप क्षेत्र में पहुँच गई थीं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरे इलाके को सील कर दिया गया था। ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही थी। हालांकि, स्थानीय निवासियों ने इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध किया। महिलाएँ और बच्चे अपने घरों को बचाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें पीछे हटने को कहा। कुछ निवासियों ने मानव श्रृंखला बनाकर बुलडोजरों को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया।

डीडीए के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी है और दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन संरचनाओं को कई बार पहले भी नोटिस दिए गए थे, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने जगह खाली नहीं की। अधिकारी ने यह भी दावा किया कि यह भूमि डीडीए की है और इस पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा स्वीकार्य नहीं है।

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Kalkaji Bhumihin Camp : पुनर्वास की मांग और मानवीय संकट

भूमिहीन कैंप के निवासियों का कहना है कि वे यहाँ दशकों से रह रहे हैं और यह उनकी एकमात्र छत है। कई परिवार तो यहाँ पीढ़ियों से बसे हुए हैं। उनका आरोप है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया और न ही उनके पुनर्वास के लिए कोई ठोस योजना बताई गई है। निवासियों का कहना है कि वे दिहाड़ी मजदूर हैं और उनके पास कहीं और जाने के लिए कोई साधन नहीं है।

एक महिला निवासी ने रोते हुए कहा, “हमारे बच्चे कहाँ जाएंगे? हमारी सारी कमाई इन घरों को बनाने में लगी थी। अब हम कहाँ रहेंगे? हमें बस कुछ समय और पुनर्वास की गारंटी चाहिए।” बच्चों के स्कूल, राशन कार्ड, आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी इन झुग्गियों में दबे रह गए, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि भले ही यह अतिक्रमण हो, लेकिन प्रशासन को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पहले पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बेघर करना एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म देगा, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

Kalkaji Bhumihin Camp : हाईकोर्ट का आदेश और डीडीए का रुख

बताया जा रहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में डीडीए को भूमिहीन कैंप क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि डीडीए को अपने भूमि का प्रबंधन करना चाहिए और उसे अवैध कब्जों से मुक्त रखना चाहिए। डीडीए का तर्क है कि इस तरह के अतिक्रमण सार्वजनिक भूमि पर दबाव डालते हैं और शहर के विकास में बाधा डालते हैं।

डीडीए ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा और दिल्ली को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए वह प्रतिबद्ध है। हालांकि, पुनर्वास नीति को लेकर सरकार और निवासियों के बीच अक्सर टकराव की स्थिति बनी रहती है। दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी नीति के तहत, विस्थापित परिवारों को वैकल्पिक आवास देने का प्रावधान है, लेकिन यह प्रक्रिया अक्सर धीमी और जटिल होती है।

Kalkaji Bhumihin Camp : आगे की राह और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस बुलडोजर कार्रवाई के बाद क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। बेघर हुए परिवारों ने खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं या फिर अपने रिश्तेदारों के यहाँ अस्थायी शरण ले रहे हैं। कुछ राजनीतिक दलों ने भी इस कार्रवाई की निंदा की है और बेघर हुए लोगों के लिए जल्द से जल्द पुनर्वास की मांग की है।

विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों को बेघर कर रही है, जो अमानवीय है। वहीं, सत्तारूढ़ दल का कहना है कि यह कानून के तहत की गई कार्रवाई है और किसी भी अवैध अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

फिलहाल, भूमिहीन कैंप के निवासियों की निगाहें सरकार और न्यायपालिका पर टिकी हैं कि उनके भविष्य को लेकर क्या निर्णय लिया जाता है। यह घटना एक बार फिर दिल्ली में अतिक्रमण, शहरी विकास और गरीबों के अधिकारों के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करती है।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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