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Kaleen Bhaiya : पूर्वांचल के बाहुबली विजय मिश्रा की सियासत और अपराध की दास्तान

Kaleen Bhaiya : (Tehelka Desk) उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में राजनीति और अपराध का गहरा संबंध रहा है। इस क्षेत्र के कई नेताओं ने राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपराध का सहारा लिया। ऐसे ही एक नेता हैं भदोही जिले के ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक विजय मिश्रा , जिन्हें ‘कालीन भैया’ के नाम से जाना जाता है।

Kaleen Bhaiya : प्रारंभिक जीवन और राजनीति में प्रवेश

Kaleen Bhaiya : विजय मिश्रा का जन्म प्रयागराज जिले के हंडिया थाना क्षेत्र के खपतिया गांव में हुआ था। एक साधारण ब्राह्मण परिवार से आने वाले मिश्रा ने भदोही में कालीन व्यापारियों के लिए वसूली का काम शुरू किया, जिससे उन्हें ‘कालीन भैया’ की उपाधि मिली। उनकी राजनीतिक यात्रा कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी के संपर्क में आने से शुरू हुई, जिसके बाद उन्होंने राजीव गांधी तक पहुंच बनाई और ज्ञानपुर के डीघ से ब्लॉक प्रमुख बने।

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Kaleen Bhaiya : राजनीतिक करियर और आपराधिक गतिविधियाँ

2000 में समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद मिश्रा ने सपा का दामन थामा। 2002 में ज्ञानपुर विधानसभा से विधायक बने और 2007 व 2012 में भी सपा से चुनाव जीतते रहे। हालांकि, 2017 में सपा ने उनका टिकट काट दिया, जिसके बाद उन्होंने निषाद पार्टी से चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

Kaleen Bhaiya : मिश्रा पर 80 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण, बलात्कार और धमकी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। 2014 में एक प्रसिद्ध गायिका ने उन पर और उनके परिवार के सदस्यों पर गैंगरेप का आरोप लगाया, जिसके चलते उन्हें जेल की सजा हुई।

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Kaleen Bhaiya : वर्तमान स्थिति

Kaleen Bhaiya : 2023 में अदालत ने विजय मिश्रा को दोषी ठहराते हुए 15 साल की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। वर्तमान में वह आगरा जेल में बंद हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा अभी भी जीवित है। उनकी पत्नी और बेटियां उनके लिए प्रचार कर रही हैं, और वह प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

विजय मिश्रा की कहानी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपराध के बढ़ते प्रभाव की एक मिसाल है। एक साधारण व्यक्ति से बाहुबली बनने तक का उनका सफर बताता है कि कैसे सत्ता की भूख और अपराध का गठजोड़ लोकतंत्र को प्रभावित कर सकता है। उनकी कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या राजनीति में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह होनी चाहिए।

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