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Iran–Israel : संघर्ष के बीच, जयशंकर और अराघची की अहम बातचीत

(Tehelka Desk)Iran–Israel : 

Iran–Israel : भारत की मध्यस्थता, शांति का संदेश

पश्चिम एशिया में इजरायल-ईरान तनाव के बीच, भारत ने सक्रिय कूटनीतिक भूमिका निभाई है। भारत के विदेश मंत्री S. Jaishankar  ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियोंइज़राइल और ईरान के बातचीत करने की पहल की। इस सिलसिले में उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से भी टेलीफोन पर बात की, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता, शांति-प्रक्रिया और भारत के संबंधित हितों पर गहन विचार-विमर्श हुआ ।

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जयशंकर ने कॉल के दौरान ईरान के लोगों के प्रति भारत की सहानुभूति जाहिर की। साथ ही, उन्होंने हिंसा को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

Iran–Israel : बातचीत का एजेंडा, क्षेत्रीय सुरक्षा व भारतीय हित

  1. तनावपूर्ण हालात – “ऑपरेशन राइजिंग लायन”

हाल ही में इजरायल द्वारा “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नामक स्ट्राइक में तेहरान की सैन्य व परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया गया। इसके जवाब में ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III” के तहत सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं । यह दौर पश्चिम एशिया के लिए भयावह साबित हो रहा है।

  1. भारत की कूटनीतिक पहल

जयशंकर ने बातचीत में दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि तीसरे पक्ष के सशक्त हस्तक्षेप से तनाव बढ़ सकता है, इसलिए द्विपक्षीय संवाद और शांतिपूर्ण समाधान महत्वपूर्ण हैं  ।

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Iran–Israel :  अराघची का रुख, सीजफायर तभी संभव

ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने इस संघर्ष पर भारत से संवाद करने का आह्वान किया, लेकिन साथ ही इजरायल पर स्पष्ट किया कि युद्धविराम तभी संभव तभी है जब आक्रामकता रुकती है ।

उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के दावे भरे युद्धविराम को खारिज करते हुए कहा:

“अभी तक इजरायल से कोई अंतिम युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है।

अराघची ने इजरायल की रणनीति को खतरनाक बताया और दलील दी कि जब तक आक्रामक कदम जारी हैं, तब तक बातचीत बेअसर रहेगी।

Iran–Israel : शांति की ओर भारत की प्रतिबद्धता

समर्थन करने के लिए तैयार

भारत ने दोनो देशों के साथ अपने मिशनों के माध्यम से भारतीय समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी । साथ ही साथ पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर ने दोनों देशों में शांति का संदेश भेजा जिसमें भारत ने तीव्र निर्मोचन के बजाय संवाद की भूमिका अपनाई।

Iran–Israel : तीसरे पक्ष की भूमिका पर सतर्क दृष्टिकोण

जयशंकर ने चालक और स्पष्ट टिप्पणी की कि दो देशों की लड़ाई में बाहरी दखल अव्यावहारिक है—जब तक दोनों पक्ष साझा भूमि पर वार्ता के लिए सहमत नहीं होंगे, तब तक कोई बाहरी पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता । उनका यह रुख भारत की संतुलित और विवेकपूर्ण विदेश नीति का परिचायक है।

Iran–Israel :  बादलों में चेतावनी, अगर स्थिति बिगड़ी

जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी प्रकार के रूप से भारत में रहने वाली अपनी नागरिकता की रक्षा के लिए तैयार है; इसके तहत क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना भी शामिल है ।

भारत ने दोनो देशों से संयम बनाए रखने का आग्रह किया और उनके मिशनों को सतर्कता से समुदाय की जानकारी देने को कहा गया ।

 

 

 

 

 

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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