Himachal Cloudburst : मनूणी खड्ड बाढ़ में अब तक सात की मौत, एक शव और मिला
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(Tehelka Desk)Himachal Cloudburst :
Himachal Pradesh में इस मानसून की बूंदों ने पहली राहत नहीं दी, बल्कि विनाशकारी रूप ले लिया। पिछले चार दिनों में तीन क्लाउडबर्स्ट और नौ फ्लैश फ्लड की घटनाओं में अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि आठ लापता हैं और 21 लोग बचाए जा चुके हैं। नवीनतम रिपोर्ट में मनूणी खड्ड से एक और शव बरामद हुआ है, जिससे मृतकों की संख्या सात हो गई है।
- ताज़ा अपडेट, मनूणी खड्ड से मिला शव
रेस्क्यू टीम द्वारा मनूणी खड्ड की गहन तलाशी में एक शव प्राप्त हुआ है। अधिकारियों के अनुसार यह भी संभवतः हालिया फ्लैश फ्लड में बहा हुआ व्यक्ति है। फिलहाल शव की शिनाख्त और पहचान की प्रक्रिया जारी है।
हर हाल में राहत बचाव दल—NDRF, SDRF और स्थानीय होम गार्ड—24 घंटे अलर्ट पर हैं ।
- पिछले 24 घंटे, क्लाउडबर्स्ट, फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड की श्रृंखला
मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन रिपोर्ट से पता चलता है कि:
- तीन क्लाउडबर्स्ट, जिनमें से एक कुल्लू, एक सैंज घाटी व एक मणिप्रयग शामिल रहा ।
- नौ फ्लैश फ्लड और तीन लैंडस्लाइड ने सड़कों, गांवों और विद्युत/पानी संरचनाओं को भारी नुकसान पहुंचाया।
- पांच मौते अब तक रिपोर्ट हुई हैं और आठ लापता बताए जा रहे हैं।
- 21 लोगों को बचाया गया और दो राष्ट्रीय राजमार्ग (NH‑505 और NH‑03) कई स्थानों पर बंद हुए हुए हैं ।
- प्रभावित क्षेत्र, कुल्लू, कांगड़ा, रैम्पूर
- कुल्लू जिले के सैंज घाटी, रेहला बिहाल और गड़सा क्षेत्रों में अचानक हुई बाढ़ में तीन लोग बह गए, जबकि मानसून की रोलिंग बारिश से कंगड़ा में भी हालात खराब रहे ।
रैम्पूर/शिमला में मनूणी खड्ड और Samej Khad तटवर्ती इलाकों में बाढ़ ने इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह कर दिया, जिसमें पुल, बिजली-जल परियोजनाएँ और सड़के शामिल हैं ।
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- मौसम विभाग का अलर्ट और प्रशासनिक दिशा-निर्देश
मौसम विज्ञान केंद्र ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, खासकर निम्नलिखित जिलों के लिए:
- कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, चंबा, सिरमौर
- अगले 28 जून तक “भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना”
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने सभी जिला कलेक्टरों को 24×7 अलर्ट पर रहने और तुरंत राहत कार्य हेतु हेडक्वार्टर स्थापित करने का आदेश दिया ।
- बचाव और राहत परिचालन
🔹 एजेंसियों की भूमिका
- SDRF, NDRF, ITBP, होमगार्ड और राजकीय पुलिस मिलकर राहत व बचाव कार्य में जुटी ।
- ड्रोन और सैटलाइट तकनीक (NRSC, DRDO GPR) से प्रभावित क्षेत्रों में गहन सर्वेक्षण किया जा रहा है ।
🔹 रोधक कदम
- ढलान-सुरक्षा उपाय व लैंडस्लाइड प्रभाव आकलन
- बारिश प्रभावित हाईटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे पावर प्लांट को बंदी हेतु प्रक्रिया
- प्रभावित परिवारों को मुआवजा, समर्थन, और स्थायी पुनर्वास की योजना।
Himachal Cloudburst : क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश फ्लड की जनित प्रकृति
- क्लाउडबर्स्ट की परिभाषा के अनुसार—यह अचानक एक छोटे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षण का प्रचंड रूप है, जैसे “बादल फूटना” ।
Samej Khad में यह घटना दो स्थानों—Jaon/Bagipul और Jhakri कछेत्र—के निकट हुई, जिसकी वजह से तेजी से बहता पानी बड़े पत्थर, संरचनाओं और पुलों को बहा ले गया ।
Himachal Cloudburst : लोक प्रतिक्रियाएं और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
- स्थानीय ग्रामीण, पर्यावरणविदों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि इन प्राकृतिक आपदाओं में मानवीय गतिविधियाँ—जैसे अवैध कटान, बिना अध्ययन निर्माण, और हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाएँ, पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करती हैं:
- स्थानीय सूचित आवाज़ भी उठ रही है, जिसमें अधोसंरचना के दीर्घकालिक प्रभाव, जल प्रबंधन और सतत विकास पर जोर दिया गया है ।
Himachal Cloudburst : तैयार रहना ही बचाव है
हिमाचल प्रदेश में ये तबाही न केवल मौसम की क्रूरता बल्कि मानव-प्रणालीगत भूलों की परिणति है:
- त्वरित राहत कार्य से कुछ जानें बची, लेकिन कई परिवारों को सड़कों और आवास में विस्थापन झेलना पड़ा
- क्लाउडबर्स्ट का विज्ञान और डेटा संग्रह से ही भविष्य में बेहतर पूर्व चेतावनी संभावित है
- पर्यावरण-अनुकूल निर्माण, सुरक्षित सड़कें और संरचनाएं अनिवार्य हैं।
- तकनीकी समाधान—जैसे रडार, ड्रोन, उपग्रह—क्लाउडबर्स्ट अलर्ट के लिए भविष्य का आधार हैं
उम्मीद है कि ऑरेंज अलर्ट के तहत प्रशासन, स्थानीय समुदाय और वैज्ञानिक मिलकर इन घटनाओं को पारने की रणनीति तैयार करेंगे, ताकि हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक-प्राकृतिक समृद्ध विरासत सुरक्षित रहे और जीवन बचाने में अग्रेसर रहे।