Ghazipur Mock Drill : जिलाव्यापी 6 घंटे चली मॉक ड्रिल में लोगों को बचाने का प्रशिक्षण
(Tehelka Desk)Ghazipur Mock Drill :
गाज़ीपुर जिले में mock drill का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य संभावित बाढ़ की स्थिति के दौरान प्रशासन और जनता दोनों को त्वरित बचाव एवं राहत कार्यों हेतु प्रशिक्षित करना था। इस ड्रिल में जिले के चार प्रमुख स्थान—सैदपुर, गौसपुर, ताड़ीघाट, रामपुर—पर लगभग छः घंटे तक अभ्यास कराया गया। इसमें शामिल सभी प्रशासनिक विभागों, स्वास्थ्य व आपदा मित्रों, एनसीसी कैडेट्स, स्थानीय समाज की भागीदारी इस आयोजन को एक जीवंत सफलता में परिवर्तित करती है।
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मॉक ड्रिल का आयोजन, प्रशासन की सतर्कता का परिचायक
बाढ़ की संभावना को देखते हुए आपदा नियंत्रण विभाग—प्रशासन, स्वास्थ्य, सिंचाई, पुलिस, पशुपालन, अग्निशमन, राजस्व और विद्युत विभागों की एक संयुक्त टीम ने जिले में मॉक ड्रिल की रूपरेखा तैयार की। यह ड्रिल यह देखने के लिए थी कि आपदा की स्थिति आने पर हर विभाग कैसे कार्य करता है और जनता को किस प्रकार बचाव व पुनर्वसन तक पहुंचाया जा सकता है।
आयोजन में चार स्थल, छह घंटे लगातार अभ्यास
- ताड़ीघाट और रामपुर में ADMF वित्त व राजस्व, दिनेश कुमार के नेतृत्व में यह ड्रिल सुबह 9 बजे से तीन बजे तक जारी रही। ड्रिल में एक दर्जन व्यक्तियों व चार-पाँच पशुओं को बचा कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
- सोनवल के नजदीक D.T. ब्रांच के क्षतिग्रस्त होने की बात बनी परिदृश्य, जहां ट्रेन का परिचालन बाधित था। relief एवं ट्रेन प्रशासन ने मिलकर ट्रैक ठीक कर रेल परिचालन बहाल कराए।
- गौसपुर (गंगाघाट) इस ड्रिल का तीसरा केंद्र था, जहाँ आपदा मित्रों ने बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को बाढ़ राहत शिविर तक पहुंचाने का अभ्यास किया।
- सैदपुर में ढहते मकानों से बचाव की तैयारी की गई, जबकि सेवराई मंच पर नाव वाले लोगों को खतरनाक स्थितियों की मॉडल रेस्क्यू ड्रिल से निकाला गया।
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सहभागियों की भूमिका और टीमवर्क
इस अभ्यास में लगभग 200 सदस्य सक्रिय थे—इनमें शामिल थे:
- आपदा राहत विभाग के अधिकारी — बाढ़ नियंत्रण हेतु रणनीति तय करना
- स्वास्थ्य विभाग — प्राथमिक उपचार, ऑक्सीजन, व्हाइट ईएमटी आदि सुविधा
- पशुपालन विभाग — घायल या फंसे पशुओं की देखभाल
- सीवरेज और विद्युत विभाग — कटे हुए वायर, टूटे पुलबैक के लिए तत्काल सक्रिय
- एनसीसी कैडेट, राजस्व विभाग, राजस्व मित्र, पुलिस और अग्निशमन टीम — समन्वित ड्रिल संचालन
- रेलवे कर्मचारी और स्थानीय रेल प्रशासन — स्क्रैप की गई रेल लाइनों की तेजी से मरम्मत
अभ्यास में हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने वास्तविकता का अनुभव किया; विविध परिस्थिति परिस्थितियों में सही समय पर निर्णय लेना और आपदा-प्रबंधन की क्षमता प्रदर्शित करना टीमवर्क की ताक़त साबित हुआ।
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अभ्यास के मुख्य हासिल और चुनौतियाँ
सामूहिक समन्वय और जागरूकता
प्रशिक्षकों ने बताया कि इस ड्रिल ने यह स्पष्ट किया कि “बाढ़ एक सामूहिक स्थिति है, जिसमें स्थानीय समाज और प्रशासन एक साथ मिलकर काम करे”—और यह समन्वय पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
वास्तविक परिस्थिति के अनुरूप माहौल
छह घंटे की ड्रिल में बारिश की सिमुलेशन सिस्टम, पानी की बढ़ी धार, रात की स्थिति का मॉडल रखा गया था। इससे सभी उपस्थित अधिकारियों व सहयोगियों को वास्तविक परिस्थिति के जैसा अनुभव प्राप्त हुआ।
प्राथमिक चिकित्सा का प्रभाव
स्वास्थ्य विभाग को प्राथमिक चिकित्सा और ऑक्सीजन सपोर्ट के मामले में तत्काल निपटना था—जो सफल साबित हुआ। प्रति मॉक ड्रिल, मरीजों के प्राथमिक इलाज की समयसीमा में सुधार हुआ।
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अधिकारियों का बयान, ADMF दिनेश कुमार
“हम चाहते हैं कि हमारा प्रशासन और स्थानीय लोग संभावित बाढ़ की स्थिति से डरकर न रहें, बल्कि उसे मौका बनाकर आपदा-प्रबंधन की तैयारी में जीवनरक्षक बनें। यह मॉकड्रिल दर्शाती है कि सहयोग, संकल्प और तत्परता क्रमशः जीवन बचा सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रणालीगत अभ्यास से कमजोर बिंदु और छोटी-छोटी त्रुटियाँ स्पष्ट हो जाएंगी और समय रहते सुधार संभव होगा।
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अभ्यास से मिली सीख—आगे की राह
- संचार नेटवर्क प्रत्येक अछोर तक जाना चाहिए—जहाँ नेटवर्क न हो, वहां संचार संबंधी तैयारी जरूरी होगी।
- मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणालियाँ डीडी रिज़्कर प्रणाली से समय रहते अलर्ट भेजा जाएगा।
- मौके पर प्राथमिक स्वास्थ्य-शिविर हर गांव के नज़दीक तैनात होंगे—एनजीओ कॉल्ट्रिकल पैरामेडिक्स टीम संकट मोड में जुटेगी।
- सार्वजनिक जागरूकता अभियान—बाढ़ के समय लापरवाही नहीं, बल्कि सूझबूझ के साथ कदम उठाने की शिक्षा स्थानीय स्तर पर नियमित दी जाएगी।
मॉक ड्रिल सफल, तैयारी मजबूत
गाज़ीपुर की यह मॉक ड्रिल न केवल प्रशासन की सतर्कता बता रही है, बल्कि स्थानीय समाज के साथ साझेदारी की ताक़त को उजागर कर रही है। कठनाई की परिस्थितियों में बचाव एवं राहत कार्य संचालन हेतु यह एक मजबूत परीक्षण है।
इस अभ्यास ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है:
- आपदा की स्थिति निवारण में विकास नगर, ब्लॉक स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर जनसमूह सक्रिय रहें
- संचार प्रणाली, बिजली/रेल-पावर-ट्रैक की रख-रखाव योजनाएं बहु-स्तरीय जांचों से गुजरें
- प्राथमिक स्वास्थ सेवाओं और समयबद्ध रेस्क्यू ऑपरेशनों की क्षमता बनाए रखी जाए
यदि इन तैयारियों को नियमित रूप से समय-समय पर अभ्यास में लाया जाए, तो यह प्रणाली हिमाचल और उत्तर भारत के अनेक नदी-पाट क्षेत्रों को बाढ़ के कहर से पहले तयारी करने वाली मिसाल बनेगी।