E-Commerce Companies: युवाओं को अपाहिज बनाती ऑनलाइन कंपनियां,बाजार पर पड़ रहा है सीधा असर
Headings
E-Commerce Companies: Tehelka desk : आज के दौर में तकनीकी विकास और इंटरनेट ने हमारी जीवनशैली को बिलकुल बदल दिया है। ऑनलाइन शॉपिंग और होम डिलीवरी की सुविधा ने हमारे जीवन को पूरी तरह से सरल बना दिया है। एक क्लिक पर ही कोई भी चीज हमारे हाथ में होती है। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है।
ये कहीं न कहीं युवाओं को अपाहिज बना रहा है। युवाओं में फिजिकल एक्टिविटी और एक्टिव लाइफस्टाइल की कमी ला रहा है, जिसका सीधा असर हेल्थ और प्रोडक्टिविटी पर पड़ रहा है। पहले लोग बाजार जाते थे, सामान उठाने और घर तक लाने में एक्टिव रहते थे, लेकिन जबसे ऑनलाइन होम डिलीवरी कंपनियां आई हैं, तबसे लोगों ने बाजार जाना ही छोड़ दिया है।
E-Commerce Companies: सुविधा के फायदे और नुकसान
ऑनलाइन शॉपिंग ने समय और ऊर्जा बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन ये धीरे-धीरे युवाओं को निष्क्रिय बना रहा है। अब हर छोटी-बड़ी चीज ऑनलाइन उपलब्ध होने से श्रम की आवश्यकता कम हो गई है और युवाओं में आलस्य बढ़ता जा रहा है, जिससे उनमें बैठे-बिठाए काम होने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो शरीर को बहुत सी बीमारियों का घर बना रही है। इस निष्क्रियता से मोटापा, हृदय-रोग और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
E-Commerce Companies: युवाओं पर हो रहा नकारात्मक प्रभाव
1. शारीरिक स्वास्थ्य पर असर: ऑनलाइन शॉपिंग के कारण शारीरिक गतिविधि कम हो गई है। इसका असर मांसपेशियों की कमजोरी, मोटापा और अन्य शारीरिक बीमारियों के रूप में देखा जा सकता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर असर: जब व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकलता और लगातार स्क्रीन पर समय बिताता है, तो यह मानसिक तनाव और अकेलेपन की स्थिति को जन्म दे सकता है।
3. सामाजिक कौशल में कमी: ऑनलाइन खरीदारी ने सामाजिक संपर्क कम कर दिया है। पहले बाजार जाने से लोग अन्य लोगों से मिलते-जुलते थे, जो आजकल काफी कम हो गया है।
4. आत्मनिर्भरता की कमी: युवाओं में यह आदत विकसित हो रही है कि किसी भी छोटे काम के लिए वे दूसरों या ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भर रहते हैं।
E-Commerce Companies: ऑफलाइन बाजार पर पड़ रहा है असर
ई-कॉमर्स कंपनियां घर बैठे छोटी-बड़ी चीज को आसानी से हाथों तक पहुंचा रही हैं, जिसकी मार ऑफलाइन बाजारों पर पड़ रही है। इसका सीधा असर छोटे दुकानदारों और व्यापारियों पर पड़ रहा है। बाजार बिलकुल ठप्प पड़ा हुआ है, जिस वजह से दुकानदारों के सामने भी आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है और वे सामान ज्यादा दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे लोगों ने बाजार जाना लगभग कम ही कर दिया है।
E-Commerce Companies: डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ उत्तराखंड की एक वार्षिक आम सभा का आयोजन
ऑनलाइन बिजनेस और कंपनियों के बढ़ते जाल को देखते हुए डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ उत्तराखंड ने एक वार्षिक सभा का आयोजन किया, जिसमें इन ई-कॉमर्स कंपनियों के बढ़ते साम्राज्य पर चर्चा की गई। संरक्षक राजेश सिंघल ने बताया कि इस संस्था की शुरुआत 5 साल पहले हुई थी। यह संस्थान न केवल डिस्ट्रीब्यूटर्स का हित देखती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर कंपनियों का साथ भी देती है।
E-Commerce Companies: इस सभा में व्यापार में बढ़ते हुए कंपनियों के दबाव और स्टॉक के प्रेशर के ऊपर चिंता व्यक्त की गई और तय किया गया कि डिस्ट्रीब्यूटर्स अधिकतम मासिक बिक्री के 5 से 7 दिन का स्टॉक अपने पास गोदाम में रखेंगे। बाजार में पिछले 5 महीने से जो मंदी दिखाई दे रही है, उसे पर गहन चिंतन किया गया। शहर में ब्लिंकइट, जेप्टो जैसी कंपनियों की मकड़जाल की बात की गई। क्योंकि इन कंपनियों के माध्यम से ग्राहक को घर बैठे सामान की प्राप्ति हो रही है, इसके जो दूरगामी परिणाम और उनसे उत्पन्न विसंगतियों पर विस्तार से चर्चा की गई –
1. युवा पीढ़ी को घर बैठकर सामान प्राप्त होने से इस पीढ़ी को कामचोर बनाने का श्रेय इन ऑनलाइन कंपनियों को है।
2. उत्तराखंड राज्य में पर्यटन और जीएसटी से कलेक्शन होता है। ऑनलाइन कंपनियों द्वारा नुकसान में माल बेचने की वजह से जीएसटी जमा नहीं की जाएगी, जिससे उत्तराखंड राज्य को आर्थिक नुकसान होगा।
3. ये कंपनियां उत्तराखंड के बेरोजगार युवकों को अपने साथ नहीं लगाकर बाहर के, दूसरे प्रदेशों के युवकों को प्रोत्साहन दे रही हैं, जिससे उत्तराखंड के युवा और उत्तराखंड के राजस्व का नुकसान होना लाजमी है।
E-Commerce Companies: सभा ने सरकार से इस बारे में संज्ञान लेकर कोई ठोस कदम उठाने की मांग की ताकि उत्तराखंड के राजस्व और उत्तराखंड के बेरोजगार युवकों को इन कंपनियों से हो रहे नुकसान से बचाया जा सके। सभा में उपस्थित सभी वितरक सदस्यों से उनके सुझाव और समस्याओं के बारे में विस्तृत चर्चा की गई, और उनका निवारण भी किया गया।