नई दिल्ली
Delhi Air Alert: स्मॉग और धुंध से जियल राजधानी, कृत्रिम बारिश का ट्रायल 4–11 जुलाई तक
(Tehelka Desk) Delhi Air Alert:
दिल्ली की हवा फिर दूषित
- ईस्टन dehli AQI “सेवियर” श्रेणी से ही नीचे नहीं आ रही, बल्कि बार-बार स्मॉग और धुंध ने आम लोगों की सांसों को भारी कर दिया है।
- ताजातरीन एयर क्वालिटी डेटा के मुताबिक, पिछले सप्ताह पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर 300–450 μg/m³ के बीच दर्ज किए गए—जो “बहुत खराब” या “अत्यंत खराब” श्रेणी में आते हैं।
पहली बार दिल्ली में कृत्रिम बारिश की तैयारी क्लाउड सीडिंग ट्रायल की योजना
- दिल्ली सरकार जल्द ही क्लाउड सीडिंग के जरिये कृत्रिम बारिश का परीक्षण करेगी—यह पहला अवसर होगा जब राजधानी में ऐसे प्रयास किए जाएंगे।
- यह ट्रायल इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर के सहयोग से किया जा रहा है और मौसम विभाग (IMD) इसकी निगरानी करेगा।
- ट्रायल अवधि: 4 से 11 जुलाई – कुल पाँच उड़ानों में कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सेल्वियर आयोडाइड या रॉक साल्ट के छींटे दिए जाएंगे, ताकि आकाश में मौजूद मौसमी बादलों से बारिश निकल सके।
तकनीकी तैयारी और अनुमति प्रक्रिया
- कार्य योजना के अंतर्गत DGCA, हर मंत्रालय, और CAA समेत सभी जरूरी सरकार निकायों से अनुमति ली जा चुकी है।
- वहां से CESSNA प्लेन उड़ान भरेगा, जिसमें क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स, मौसम सेंसर, और रियल‑टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशंस (CAAQMS) लगे होंगे।
मकसद: स्मॉग से अस्थायी निजात
- क्लाउड सीडिंग का उद्देश्य है वायु में नकारात्मक कणों (PM2.5/PM10) को बारिश के माध्यम से नष्ट करना—इसे “वॉशआउट” कहा जाता है।
- इससे राजधानी की हवा थोड़ी “साफ” महसूस होगी—ऑक्सीजन की उपस्थिति बढ़ेगी, और दर्दनाक स्वास्थ्य प्रभावों से राहत मिलेगी।
विशेषज्ञ दृष्टिकोण: अल्पकालिक लाभ, दीर्घकालिक सवाल
सकारात्मक:
- प्राकृतिक रूप से हुई बारिश से AQI स्तर में थोड़ी गिरावट देखी जाती रही है।
- क्लाउड सीडिंग से ऐसी ही “चंद घंटे की राहत” फिर से आ सकती है—हवा हल्की साफ हो सकती है।
चिंताएँ:
- मौसमी बादलों की कमी से सफलता संभव नहीं, क्योंकि मौसम नियंत्रित नहीं है।
- वैज्ञानिक कहते हैं यह “band-aid solution” है—जड़ नहीं कटेगी; सड़क, उद्योग, वाहनों से आने वाला धुआँ तुरंत लौट सकता है।
- महंगे प्रयोग: ₹1 लाख प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग ऊपर खर्च हो सकता है, और प्रभाव केवल कुछ दिनों तक रखना पाया गया है।
- कुछ विशेषज्ञ चिंतित हैं कि इसमें इस्तेमाल हो रहे रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड) मानव स्वास्थ्य और जल–पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
- दिल्ली सरकार के अन्य कदम
- Anti‑smog guns (140 मोबाइल गन) और 1,000 स्प्रिंकलर पानी के सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं।
- AI‑मॉनिटरिंग के तहत निर्माण स्थलों और पुराने वाहनों पर निगरानी और चालान की व्यवस्था लागू की गई है।
- RFID टैग और ANPR कैमरे सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर लगाए गए हैं, ताकि प्रदूषित वाहनों को रोका जा सके।
- EVs और ई‑रिक्षा कनेक्टिविटी में वृद्धि और वेहिकल एंट्री पाबंदी भी लागू है।
दीर्घकालिक सुधार की दिशा
- क्लाउड सीडिंग एक तीव्र, तात्कालिक हल प्रदान कर सकता है, मगर असली सुधार निर्माण, वाहन, उद्योग और कृषि स्रोतों की कटौती से आएगा।
- यूरोप के उदाहरणों से पता चलता है कि जब तक परिवहन सुधार, बढ़ीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट, भारी उद्योग विनियमन, और आग्जिटिव स्रोत पर नियंत्रण नहीं होता—AQI फिर वही रहेगा।
- 4–11 जुलाई को क्लाउड सीडिंग ट्रायल का परिणाम देखना महत्वपूर्ण होगा—क्या AQI में सुधार होगा?
- यदि छह दिनों में यह कारगर साबित होता है, तो इसे जरूरत पड़ने पर लौटाया जा सकता है—लेकिन लागत‑प्रभाव और सततता की समीक्षा जरूरी होगी।
- सरकार की तैयारी दिखाती है कि वायु प्रदूषण से लड़ने की प्रतिबद्धता है—परंतु इसके साथ ही दीर्घकालिक नीतियाँ जैसे सार्वजनिक परिवहन, वाहनों की उत्सर्जन कटौती और निर्माण सामग्री पर प्रतिबंध ज़रूरी हैं।