China-Pakistan Alliance : चीन-पाकिस्तान की नई साजिश, SAARC की जगह लेगा ड्रैगन-गठबंधन
(Tehelka Desk)China-Pakistan Alliance :
क्यों SAARC हो रहा कमज़ोर?
South Asian सहयोग संगठन (SAARC) का गठन 1985 में आठ सदस्यों — भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव, अफगानिस्तान — के साथ हुआ था। लेकिन 2016 के बाद इसमें ठहराव आ गया, जब भारत, पाकिस्तान पर गुलाबीडल आतंकी हमले के बाद SAARC से पीछे हट गया। परिषद की बैठकें स्थगित रहीं और राजनीतिक भरोसा टूट गया ।
- भारत के SAARC में असमर्थता की वजह से संगठन लगातार निष्क्रिय होता गया ।
- भारत ने BIMSTEC जैसे अन्य क्षेत्रों को प्राथमिकता दी, जिस कारण SAARC के महत्व में और गिरावट आई ।
- नई पहल: ड्रैगन-स्कॉर्पियन एक्सिस?
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन, पाकिस्तान, और बांग्लादेश एक नया दक्षिण एशियाई गुट बनाने की तैयारी में हैं, जो SAARC का विकल्प बन सकता है। Kunming (चीन) में इन तीनों देशों के बीच कूटनीतिक बैठक हुई, जिसमें नए संगठन की रूपरेखा तैयार की गई ।
इस कदम का उद्देश्य SAARC की अकार्यक्षमता को पार कर दक्षिण एशिया की राजनीतिक-आर्थिक दृश्यता को पुनः परिभाषित करना है, विशेषकर भारत के प्रभुत्व को चुनौती दे कर ।
स्तावित गुट की संभावित अवधारणा
सदस्यता और संरचना
चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की इस नई पहल में संभवतः अन्य देशों — नेपाल, मालदीव, भूटान — को भी शामिल किया जा सकता है। लेकिन फिलहाल प्रारंभिक सदस्य सिर्फ ये तीन देश माना जा रहा है।
आर्थिक और रणनीतिक एजेंडा
- China-Pakistan Economic Corridor (CPEC) और BRI जैसे mega projects की छाया में कारोबार और कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सकता है।
- ट्रेड, ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर-डिफेंस जैसे सेक्टर्स में सहयोग को मूर्त रूप दिया जा सकता है।
रणनीतिक भौगोलिक कवरेज
- नया गुट SAARC के मुकाबले अधिक geopolitical क्षमता रखेगा क्योंकि इसमें चीन का सैन्य, तकनीकी और आर्थिक दखल होगा ।
भारत की प्रतिक्रिया और संभावित असर
भारत की कूटनीतिक चाल
- भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह SAARC से खेल को बर्बाद नहीं होने देगा ।
- इसके अलावा, भारत BIMSTEC, BBIN और QUAD जैसे समूहों को मजबूत करने पर काम कर रहा है, जो रणनीतिक विकल्प बन सकते हैं ।
Uttarakhand Weather: 9 जिलों में ‘रेड अलर्ट’, गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा से नज़दीक
दक्षिण एशिया की एकजुटता पर असर
- यदि यह गुट उभरा, तो दक्षिण एशिया में विभाजन की स्थिति गहरी होगी — एक गुट में भारत, दूसरा चीन-नियंत्रित गुट ।
- छोटे देश जैसे नेपाल, मालदीव और भूटान इस खेल में भारत और चीन के बीच संतुलन की भूमिका निभा सकते हैं।
चुनौतियाँ और यथार्थवाद
भारत की अनुपस्थिति – बिना भारत के किसी दक्षिण एशियाई संगठन का भू-राजनीतिक महत्व कम होता है ।
भविष्य का मार्ग
- अगले कुछ हफ्तों में Kunming बैठक के बाद औपचारिक बयान सामने आ सकते हैं ।
- यदि यह गुट अस्तित्व में आया, तो SAARC अप्रासंगिक हो सकता है और दक्षिण एशिया में द्विध्रुवीय रणनीति बन सकती है।
- भारत इस स्थिति को रोकने के लिए BIMSTEC और QUAD को सक्रिय रख सकता है और क्षेत्रीय आर्थिक तनाव को टाल सकता है।
चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश नया दक्षिण एशियाई गुट बना कर SAARC को रिप्लेस करने की चाल चल रहे हैं, जो क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव ला सकता है:
भारत की भूराष्ट्रिय अखंडता और क्षेत्रीय नेतृत्व के लिए चुनौती बनी रहेगी।
क्षेत्रीय राजनीति में नई धुरी पैदा हो सकती है — एक चीन नियंत्रित और दूसरा भारत समर्थित गुट।
छोटे देश रणनीतिक संतुलन खोजेंगे, लेकिन चयन उनके लिए जटिल रहेगा।
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस नए गुट के अस्तित्व से South Asia geopolitical map में बड़े बदलाव की संभावना है। SAARC का बोझ और अब तक का निष्क्रिय चेहरा, एक नए संगठन के जन्म को संभव बना रहा है — लेकिन क्या यह ‘चीन की चालाकी’ सफल होगी या भारत द्वारा नियंत्रित वैकल्पिक मंचों से इसे दबाया जाएगा, यह अगले हफ्तों में साफ होगा।