Headings
- 1 Chief Justice of India B.R. Gavai : लंबित मामले और निचली अदालतों का सुधार
- 2 Chief Justice of India B.R. Gavai : मामलों की लिस्टिंग प्रणाली में सुधार की योजना
- 3 Chief Justice of India B.R. Gavai : न्यायपालिका की साख सबसे ऊपर, भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं
- 4 Chief Justice of India B.R. Gavai : न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता दोनों जरूरी
- 5 Chief Justice of India B.R. Gavai : विविधता से न्याय में गहराई आती है
Chief Justice of India B.R. Gavai : (Tehelka Desk) भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने शपथ ग्रहण की। वह देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI बने हैं। इससे पहले के. जी. बालकृष्णन दलित समुदाय से पहले CJI थे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। खास बात यह रही कि न्यायमूर्ति गवई ने हिंदी में शपथ ली।
Chief Justice of India B.R. Gavai : उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया है, जो मंगलवार को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा और वे 23 नवंबर तक इस पद पर रहेंगे। उन्होंने वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। अपने पहले बयान में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे वादे नहीं, बल्कि काम में विश्वास रखते हैं। उनके कार्यकाल की प्राथमिकताओं में लंबित मामलों में कमी लाना, न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, विविधता को बढ़ावा देना और न्यायपालिका की साख को मजबूत करना शामिल है।
Chief Justice of India B.R. Gavai : लंबित मामले और निचली अदालतों का सुधार
शपथ ग्रहण से पहले एक इंटरव्यू में मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने कहा कि उनका जोर सामाजिक और आर्थिक न्याय पर रहेगा। उन्होंने बताया कि न्यायपालिका में लंबित मामलों को कम करना और निचली अदालतों के बुनियादी ढांचे को सुधारना उनकी प्राथमिकता होगी। गवई ने माना कि उच्च न्यायालयों में सुविधाएं बेहतर हैं, लेकिन निचली अदालतें अब भी समस्याओं से जूझ रही हैं। छह महीने के अपने सीमित कार्यकाल को देखते हुए उन्होंने कहा कि वे बड़े वादे नहीं करेंगे, लेकिन व्यावहारिक और असरदार काम करने की कोशिश जरूर करेंगे।
Chief Justice of India B.R. Gavai : मामलों की लिस्टिंग प्रणाली में सुधार की योजना
Chief Justice of India B.R. Gavai : मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने न्यायालयों में मामलों की सूचीबद्ध प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रणाली में दो दिन गैर-महत्वपूर्ण और केवल एक दिन नियमित मामलों के लिए तय होता है, जिससे नियमित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। गवई ने स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे पर अपने सहयोगी न्यायाधीशों के साथ चर्चा करेंगे और एक व्यावहारिक समाधान निकालने की कोशिश करेंगे, ताकि मामलों की सुनवाई अधिक प्रभावी ढंग से हो सके।
Chief Justice of India B.R. Gavai : न्यायपालिका की साख सबसे ऊपर, भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं
हाल ही में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर नकदी मिलने के मामले पर मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “देश में करीब 900 न्यायाधीश हैं, जिनमें ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है, लेकिन यह भी स्वीकार्य नहीं है।” गवई ने जोर देते हुए कहा कि जनता न्यायपालिका को अपनी अंतिम उम्मीद मानती है, इसलिए उसकी साख से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया तय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत ही होगी।
Chief Justice of India B.R. Gavai : न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता दोनों जरूरी
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने न्यायिक नियुक्तियों में हो रही देरी और पारदर्शिता को लेकर संतुलित रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र सरकार की ओर से फैसलों में देरी चिंता का विषय है, और वे सरकार के साथ संवाद कर लंबित नियुक्तियों को जल्द निपटाने की कोशिश करेंगे।
Chief Justice of India B.R. Gavai : गवई ने कहा कि पारदर्शिता जरूरी है, लेकिन नियुक्तियों में सबसे अहम बात योग्यता होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया, “अगर कोई व्यक्ति किसी न्यायाधीश के परिवार से है, लेकिन उसमें योग्यता है, तो उसे सिर्फ रिश्ते के आधार पर नकारा नहीं जा सकता।”
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Chief Justice of India B.R. Gavai : विविधता से न्याय में गहराई आती है
Chief Justice of India B.R. Gavai : मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट में दलित प्रतिनिधित्व को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें तेजी से पदोन्नति दी गई ताकि सुप्रीम कोर्ट में दलित समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। गवई का मानना है कि न्यायपालिका में विविधता बेहद जरूरी है, क्योंकि अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमियों से आने वाले न्यायाधीश समाज की जमीनी सच्चाइयों को बेहतर समझते हैं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट कॉलेजियमों से अपील की है कि वे न्यायिक नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और खासकर महिलाओं को प्राथमिकता दें, ताकि न्याय व्यवस्था अधिक समावेशी और संतुलित बन सके।