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Chaitra Navratri Day 2 : Tehelka Desk: माँ ब्रह्मचारिणी नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा जाता है। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है—‘ब्रह्म’ यानी तपस्या या ज्ञान और ‘चारिणी’ यानी आचरण करने वाली। अर्थात्, वे तपस्या की मूर्ति और संयम की देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को तप, त्याग, धैर्य और आत्मसंयम की शक्ति प्राप्त होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और शांतिपूर्ण है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमंडल रहता है। उनका यह स्वरूप कठोर तपस्या और साधना का प्रतीक है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान को सहन न कर पाने के कारण अपने शरीर को योगाग्नि में भस्म कर दिया, तब उन्होंने अगले जन्म में हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। नारद मुनि के उपदेश से उन्होंने भगवान शिव को पुनः प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करने का निश्चय किया।
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माँ ब्रह्मचारिणी ने हजारों वर्षों तक कठोर तप किया। उन्होंने प्रारंभ में केवल फल-फूल खाए, फिर सूखे पत्तों पर जीवन व्यतीत किया और अंत में निर्जल व निराहार रहकर वर्षों तक तपस्या की। उनकी कठोर साधना के कारण सभी देवता और ऋषि-मुनि प्रभावित हुए। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी कारण वे ‘ब्रह्मचारिणी’ के रूप में पूजी जाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा में विशेष रूप से सफेद वस्त्र, चंदन, अक्षत, कमल या बेला के फूल, पंचामृत और मिठाई चढ़ाई जाती है। उन्हें शुद्ध घी या शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है। उनकी आराधना से साधक को संयम, तप, आत्मविश्वास और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से व्यक्ति में आत्मसंयम, धैर्य और त्याग की भावना विकसित होती है। जो लोग अपने जीवन में कठिन साधना या उच्च ज्ञान की प्राप्ति चाहते हैं, वे विशेष रूप से इनकी पूजा करते हैं। साधकों और विद्यार्थियों के लिए इनकी आराधना अत्यंत फलदायी होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करने से मन शांत रहता है और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। वे जीवन में कठिनाइयों को सहन करने की शक्ति प्रदान करती हैं और साधक को सफलता की ओर अग्रसर करती हैं।
Chaitra Navratri Day 2 : माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप तप, साधना और आत्मसंयम की प्रेरणा देता है। उनकी पूजा से साधक को मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्मबल प्राप्त होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी आराधना करने से भक्तों को कठिन परिस्थितियों में भी अडिग रहने की शक्ति मिलती है। उनकी कृपा से भक्तों का जीवन संयमित, अनुशासित और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनता है।