बिहार

Bihar Assembly Elections 2025: “बिहार चुनाव से पहले ओवैसी का बड़ा दांव, महागठबंधन से गठजोड़ के दिए संकेत”

(Tehelka Desk)Bihar Assembly Elections 2025:

  1. राजनीतिक पृष्ठभूमि: बिहार चुनाव की गर्माहट

बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर–दिसंबर 2025 में होने हैं। इस बीच, राजद-कांग्रेस-Left का महागठबंधन (RJD‑Congress‑Left‑VIP) सक्रिय भूमिका में है, जबकि NDA (BJP+JDU) अपने ही टूलचेन को मजबूत करने की कवायद कर रहा है। हाल के दिनों में विरोध‑गठबन्धन ने वोटर सूची की समीक्षा और सीट‑साझा जैसे इश्यूज़ को प्रमुखता से उठाया है।

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  1. ओवैसी की बड़ी घोषणा, महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने की बात

 सक्रिय प्रस्ताव

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पटना से महागठबंधन को एक स्पष्ट संदेश भेजा: हम NDA को रोकना चाहते हैं, और इसके लिए गठबंधन में भागीदारी की इच्छा जताई । उन्होंने कहा कि उनके बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने गठबंधन के नेताओं से संपर्क साधा है, और ऐसा समझा जा रहा है कि इसे महागठबंधन ने “नेगेटिव नहीं” माना है।

 सीटों पर सहमति का इशारा

ओवैसी ने यह भी साफ किया कि AIMIM केवल Seemanchal तक सीमित नहीं रहेगी—वह हर जगह चुनाव लड़ने को तैयार है—लेकिन तालमेल की स्थिति में कुछ सीटों पर घटकर चुनाव लड़ेगी ।

  1. Owaisi की रणनीतिक मजबूती, Seemanchal से बढ़ता विस्तार

 क्षेत्रीय विस्तार की चुनौती

2020 में AIMIM ने Seemanchal के 20 सीटों में 5 जीत हासिल की थी, लेकिन उस समय चार विधायक राजद में चले गए; वर्तमान में पूरे बिहार में लगभग 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की योजना है, जिसमें Seemanchal के अलावा Mithilanchal, Saran, Shahabad आदि क्षेत्र शामिल हैं ।

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 गठबंधन के लिए उपयोगी गठबंधन

AIMIM के इस कदम से पोस्ट-2020 की संरचना फिर से मजबूत हो सकती है मुस्लिम और पिछड़ों के वोट महागठबंधन के पक्ष में सिमटेंगे, जिससे वोट विभाजन की समस्या दूर होगी ।

  1. राजनैतिक अवसर और जोखिम

 फायदे:

  1. मुस्लिम वोट सुधार – Seemanchal समेत अन्य क्षेत्रों में मजबूत प्रभाव સરભरा हो सकता है।

जोखिम:

  1. Seat-sharing में अंदरूनी मतभेद – कांग्रेस, CPI‑ML व VIP जैसी पार्टियों के बीच सीट वितरण का विवाद हो सकता है ।
  1. महागठबंधन का रुख

 RJD और कांग्रेस की स्थिति

महागठबंधन की ओर से फिलहाल कोई अस्वीकृति नहीं आई—खासकर क्योंकि RJD‑Congress पहले से Seemanchal की सीटों पर जोर दे रहे हैं ।
कांग्रेस ने हाल ही में महिला सशक्तिकरण योजनाओं को भी जोर देकर उठाया है; एक प्रस्ताव है उन वोटरों को जोड़ने का ।

 JDU‑RJD के मध्य तनाव

तेजस्वी यादव ने JD(U) को शामिल करने को लेकर विरोध जताया था—लेकिन Owaisi की एंट्री में यह विवाद नए स्तर पर पहुँच सकता है ।

  1. विपक्ष का मुकाबला: NDA की चुनौती

 BJP‑JDU का जवाब

एनडीए की ओर से ओवैसी को “BJP की B‑team” कहा गया—उन्होंने आरोप लगाया कि AIMIM मुसलमान वोट को विभाजित कर महागठबंधन को नुक़सान पहुंचा रही है ।

ओवैसी की सफाई

ओवैसी ने कहा कि AIMIM की लड़ाई केवल बीजेपी‑NDA से है—वोट विभाजन नहीं—और अगर गठबंधन उन्हें न चाहता तो यह उनकी चूक है, AIMIM अकेले भी लड़ने को तैयार है ।

  1. परिणाम की संभावनाएँ

विधानसभा चुनाव का परिदृश्य

  • अगर AIMIM महागठबंधन में शामिल होती है, तो पिछले चुनावों की तुलना में यह गठबंधन Seemanchal, मिथिलांचल, Saranള में अपना असर बढ़ा सकता है।
  • इसके मंत्रालयीरण से यादव, मुस्लिम और Dalit वोटों का संतुलन बदलकर NDA के साथ सीधा मुकाबला बनेगा।

 सीट‑बंटवारे का दबाव

तथाकथित वितरण हो, ज्यादा सीट मिलें परxda) सीट लेकर AIMIM और अन्य घटक नए समीकरण तैयार होंगे।

  1. एक नई चुनावीय रणनीति?

ओवैसी का महागठबंधन को समर्थन लगातार बढ़ते राजनीतिक माहौल का जवाब है—जहाँ विपक्ष को NDA की वापसी रोकने के लिए मुस्लिम, पिछड़े, और गैर-Yadav वोटों को संघा करने की ज़रूरत है।

AIMIM की एंट्री से महागठबंधन को वोट बैंक में पैठ बढ़ाने का मौका मिल सकता है, लेकिन सीट विभाजन और गठबंधन के अंदरूनी मतभेद इसे चुनौतीपूर्ण भी बना सकते हैं।
आख़िरकार निर्णय RJD‑Congress और AIMIM के बीच सीट‑व्यवस्था पर निर्भर करेगा—जो की बिहार विधानसभा चुनाव की दिशा तय करेगा।

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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