Basna Town Council : राजस्व विभाग का कब्जा, कामकाजी महिलाओं की उम्मीदों पर पानी फिरा 3 लाख में हुआ था पालना घर का निर्माण
Basna Town Council Tehelka Desk (रिपोर्ट- भूषण सिंह शाहू) : महासमुंद जिले के बसना एसडीएम कार्यालय परिसर में कुछ महीने बना पालना घर अब बदहाली का शिकार होता हुआ नजर आ रहा है। जिस भवन को खास तौर पर कामकाजी महिलाओं की सुविधा और उनके छोटे बच्चों की देखभाल के लिए तैयार किया गया था, वह अब राजस्व विभाग के कर्मचारियों का अड्डा बन गया है। बच्चों की किलकारियों से गूंजने वाला यह स्थान अब या तो बंद रहता है या फिर अंदर पटवारी और राजस्व विभाग के अधिकारी बैठे नजर आते हैं।
Basna Town Council : पालना घर की स्थापना — एक सराहनीय पहल
बसना नगर पंचायत की ओर से पालना घर का निर्माण लगभग 3.25 लाख रूपए की लागत से किया गया था। इसका उद्देश्य था कि एसडीएम और तहसील कार्यालय आने वाली महिलाएं अपने 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को वहां सुरक्षित छोड़ सकें, जहां बच्चों को खेलने, पढ़ने और आराम करने की सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई थीं।
यह पहल खासकर उन कामकाजी महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत थी जो कार्यालयों या आस-पास के सरकारी कार्यों के लिए आती हैं। तेज धूप या बरसात में बच्चों को सुरक्षित स्थान देना पालना घर का उद्देश्य था। बच्चों के लिए रंगीन दीवारें, खिलौने, बाल पठन सामग्री, आरामदायक बिस्तर और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
पालना घर में एक देखरेख करने वाली महिला कर्मचारी (आया) की भी नियुक्ति की गई है, जो बच्चों की निगरानी और देखभाल करती हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर सफाई, कीट नियंत्रण और सुरक्षा के मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
सकारात्मक प्रभाव
- महिलाओं में आत्मविश्वास की वृद्धि: अब महिलाएं अपने छोटे बच्चों को लेकर सरकारी कार्यालयों में बिना चिंता के कार्य कर सकती हैं।
- बाल सुरक्षा और पोषण: पालना घर में बच्चों के लिए पौष्टिक नाश्ते की व्यवस्था भी की जाती है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके।
- समाज में जागरूकता: इस पहल ने अन्य नगर पंचायतों और शहरी निकायों को भी इस तरह के सुविधाजनक मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
जन सहयोग और भविष्य की योजनाएं
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने इस योजना की सराहना की है। नगर पंचायत ने संकेत दिया है कि यदि पालना घर की मांग बढ़ती है, तो भविष्य में इसका विस्तार किया जाएगा या अतिरिक्त पालना घर बनाए जाएंगे।
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Basna Town Council : राजस्व विभाग ने किया कब्जा, बच्चों को मिल रही धूप की छांव
लेकिन अब यह पालना घर अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कई सप्ताहों से यह भवन या तो बंद रहता है, या फिर इसके अंदर पटवारी और अन्य राजस्व कर्मचारी बैठे दिखते हैं।वहीं, जो महिलाएं अपने बच्चों को लेकर सरकारी कार्यालयों में आती हैं, वे उन्हें पालना घर में नहीं छोड़ पातीं। तेज़ धूप में बच्चों को पेड़ों की छांव में बैठाकर वे अपनी सरकारी कामों की लाइन में लगती हैं। इस अव्यवस्था से बच्चों के स्वास्थ्य पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है, साथ ही माताओं को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
Basna Town Council : जनता में आक्रोश, उठी पालना घर को बहाल करने की मांग
यह दृश्य देखकर आम नागरिकों में नाराजगी स्पष्ट देखी जा सकती है। स्थानीय महिलाओं और सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और मांग की है कि पालना घर को उसके वास्तविक उद्देश्य के अनुसार तुरंत सक्रिय किया जाए। कुछ नागरिकों का कहना है कि यदि पालना घर जैसे संवेदनशील स्थानों का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों के लिए बैठने के तौर पर होगा, तो इसका सीधा नुकसान उन बच्चों और महिलाओं को होगा जिनके लिए यह बनाया गया था।
Basna Town Council : कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इस पूरे मामले पर जब मीडिया ने सवाल उठाए तो महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पालना घर जैसे समाजोपयोगी संसाधनों का दुरुपयोग किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इस प्रकार का अतिक्रमण करता पाया गया, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Basna Town Council : सरकार की योजनाओं पर उठे सवाल
यह मामला न सिर्फ एक पालना घर की व्यवस्था का है, बल्कि यह उस सोच और प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल खड़े करता है जिसके अंतर्गत सरकार बच्चों और महिलाओं के कल्याण की योजनाएं बनाती है। योजनाएं बनती हैं, बजट स्वीकृत होता है, निर्माण कार्य भी होता है — लेकिन जब उनके नतीजों की बारी आती है, तो अक्सर ऐसे हालात सामने आते हैं, जहां जिम्मेदार तंत्र ही व्यवस्था को ठप कर देता है।