Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission : ड्रैगन कैप्सूल तैयार, थोड़ी देर में अंतरिक्ष की उड़ान
(Tehalka Desk)Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission :
एक और भारतीय अंतरिक्ष की दहलीज़ पर
आज का दिन भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के लिए बेहद खास है। भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला कुछ ही देर में Axiom-4 mission के तहत अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे। वह अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी Axiom Space और SpaceX की साझेदारी में इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा हैं। यह मिशन स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक जाएगा।
Axiom-4 मिशन के तहत उड़ान भरने वाले चार अंतरिक्ष यात्रियों में शुभांशु अकेले भारतीय मूल के सदस्य हैं, और भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें अब इस मिशन पर टिकी हुई हैं।
Axiom-4 Mission : निजी स्पेस मिशन की चौथी उड़ान
Axiom Space का यह चौथा मानव मिशन है जिसे SpaceX के Falcon 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जा रहा है। यह मिशन निजी क्षेत्र में अंतरिक्ष अन्वेषण का नया अध्याय है।
Axiom-4 के ज़रिए चार अंतरिक्ष यात्री करीब 14 दिन तक अंतरिक्ष में बिताएंगे, जहां वे अनुसंधान, जैविक प्रयोग और स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े कई महत्वपूर्ण परीक्षण करेंगे।
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Axiom-4 Mission : भारत का गौरव
शुभांशु शुक्ला, एक पूर्व वायुसेना पायलट और एयरोस्पेस इंजीनियर, भारत के कानपुर से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बचपन से ही अंतरिक्ष में जाने का सपना देखा था और आज वह सपना साकार होने जा रहा है।
Axiom-4 मिशन में उनकी भूमिका बेहद अहम है — वे जीवविज्ञान और तकनीकी परीक्षणों की निगरानी करेंगे। साथ ही, वे पृथ्वी पर लौटने के बाद भारतीय छात्रों और वैज्ञानिकों से अपने अनुभव साझा करेंगे।
Axiom-4 Mission : मिशन की रीढ़
SpaceX का Crew Dragon कैप्सूल दुनिया के सबसे आधुनिक और सुरक्षित अंतरिक्ष यान में से एक है। यह कैप्सूल
- चार अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखता है
- पूर्णतः ऑटोमैटिक डॉकिंग तकनीक से लैस है
- उच्च सुरक्षा वाले लीफ-ऑफ और रि-एंट्री सिस्टम के साथ आता है
- पृथ्वी से ISS तक का सफर 22 से 24 घंटे में तय करता है
आज शुभांशु और उनकी टीम इसी कैप्सूल के जरिए अपनी ऐतिहासिक उड़ान भरेंगे।
Axiom-4 Mission : मिशन का सबसे अहम चरण
लॉन्चिंग के पहले तीन मिनट मिशन के लिए बेहद निर्णायक और संवेदनशील होते हैं।
- पहले 90 सेकंड में रॉकेट ध्वनि की गति पार करता है
- फिर Max-Q (Maximum Dynamic Pressure) नामक बिंदु आता है, जब रॉकेट पर सबसे ज्यादा दबाव होता है
- इसके बाद पहला और दूसरा स्टेज सेपरेशन, यानी रॉकेट के हिस्सों का अलग होना होता है
अगर यह तीन मिनट सफलतापूर्वक पार हो जाएं, तो मिशन का 70% हिस्सा सुरक्षित माना जाता है।
Axiom-4 Mission : स्पेस स्टेशन पर जीवन, अनुसंधान और अनुशासन
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अंतरिक्ष यात्री हर दिन तय कार्यक्रम के अनुसार काम करते हैं। शुभांशु शुक्ला इस दौरान बहुत से कार्य करेंगे
- माइक्रोग्रैविटी में कोशिका व्यवहार का अध्ययन
- स्पेस रेडिएशन पर मानव शरीर की प्रतिक्रिया
- नई स्पेस टेक्नोलॉजी का परीक्षण
- पृथ्वी के जलवायु पैटर्न का अवलोकन और डेटा संग्रह
Axiom-4 Mission : विज्ञान और सहयोग की नई उड़ान
Axiom-4 मिशन का प्रमुख उद्देश्य है:
- अंतरिक्ष में निजी यात्राओं और अनुसंधान को बढ़ावा देना
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग से स्पेस डिप्लोमेसी को मज़बूत करना
- भविष्य के Axiom Space Station की नींव रखना
- पृथ्वी पर नई दवाइयों, तकनीकों और समाधानों के लिए डेटा एकत्र करना
Axiom-4 Mission : भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
इस मिशन के ज़रिए भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय प्रतिभा अब वैश्विक मंच पर अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। भले ही यह ISRO मिशन नहीं है, लेकिन एक भारतीय के शामिल होने से यह मिशन देश के लिए गर्व की बात बन गया है।
Axiom-4 Mission : शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान देश के लाखों युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने अपने सफर में बताया था कि
“अगर आपके सपने अंतरिक्ष जितने बड़े हैं, तो मेहनत उन्हें ज़रूर पूरा करेगी।”
Axiom-4 Mission : अंतरिक्ष की ओर भारत का एक और कदम
Axiom-4 मिशन न केवल विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर है, बल्कि यह उस आत्मविश्वास और सपने का प्रतीक है जो आज के भारत में हर युवा के भीतर मौजूद है। शुभांशु शुक्ला की उड़ान, भारत के अंतरिक्ष विज़न को और ऊंचाई देने वाली है।