Headings
- 1 इतिहास में दर्ज हुआ नाम, ISS में शुभांशु शुक्ला की सफल डॉकिंग
- 2 Axiom-4 mission ISS Entry : डॉकिंग की प्रक्रिया, एक घंटा जिसे सब इंतज़ार करते थे
- 3 Swachh Bharat Mission : मई माह के सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण मित्रों को मिला सम्मान
- 4 Axiom-4 mission ISS Entry : भारत की वापसी अंतरिक्ष में, 41 साल बाद फिर ISS
- 5 Axiom-4 mission ISS Entry : शुभांशु शुक्ला का प्रोफ़ाइल और पर्सनल मोमेंट
- 6 Axiom-4 mission ISS Entry : सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ और देश की भावनाएं
- 7 Axiom-4 mission ISS Entry : देश के लिए गर्व, विज्ञान के लिए गर्व
(Tehelka Desk)Axiom-4 mission ISS entry :
इतिहास में दर्ज हुआ नाम, ISS में शुभांशु शुक्ला की सफल डॉकिंग
26 जून 2025 को भारतीय अंतरिक्ष यात्री Group Captain Shubhanshu Shukla Axiom-4 mission के अंतरिक्ष यान के साथ सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ गए । यह 41 साल बाद भारत का पहला ऐसा मिशन है जब कोई भारतीय डॉक्टर या astronaut ISS में कदम रख रहा है।
Axiom-4 mission ISS Entry : डॉकिंग की प्रक्रिया, एक घंटा जिसे सब इंतज़ार करते थे
NASA और Axiom Space के अनुसार, SpaceX के ड्रैगन यान का ISS से डॉक होना एक जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें लगभग एक घंटा गुजरता है। इस समय वैज्ञानिक नियंत्रण, एयर लॉक प्रक्रिया और इंजिनियरिंग सिस्टम का मिलान किया जाता है। ISS डॉकिंग एक “synchronised ballet” के समान है, जहाँ हर कदम नियोजित और नियंत्रित होता है।
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डॉकिंग स्टेप्स, कैसे हुआ यान की एंट्री
- Close Proximity Manoeuvring: ड्रैगन यान को ISS के बगल में लाया जाता है।
- Soft Capture: छोटा सा यांत्रिक हुक लगाकर यान को धीरे से स्टेशन से जोड़ते हैं।
- Hard Capture: मजबूत लॉक लगाकर दोनों मॉड्यूल को स्थिर रूप में जोड़ते हैं।
- Pressurization & Hatch Opening: कनेक्शन की हवा निकाली जाती है, एयर लॉक बराबर किया जाता है, तभी हैच खोली जाती है।
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक घंटा लगता है जो शांति, संकल्प और तकनीकी सावधानी से भरा होता है।
Axiom-4 mission ISS Entry : भारत की वापसी अंतरिक्ष में, 41 साल बाद फिर ISS
शुभांशु शुक्ला, Group Captain, Indian Air Force, India के लिए ऐतिहासिक क्षण लेकर आए। 1984 में Rakesh Sharma के बाद यह पहला अवसर है जब भारतीय ISS में कदम रख रहा है ।
यह मिशन Gaganyaan पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा और युवा वैज्ञानिकों व छात्रों के लिए प्रेरणा बनेगा।
मिशन का उद्देश्य और महत्व
- वैज्ञानिक अनुसंधान: ISS पर आयोजित किए जाने वाले प्रयोगों में microgravity का अध्ययन, मानव स्वास्थ्य, कृषि व बायोटेक्नोलॉजी शामिल हैं ।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: NASA, SpaceX, ISRO, ESA और Axiom Space की साझेदारी द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान को नई दिशा देना है ।
- भारत की क्षमता: यह दिखाता है कि भारत के पास ISS में भेजे गए चालक दल का अनुभव हासिल करने की तैयारी और प्रतिबद्धता है।
Axiom-4 mission ISS Entry : शुभांशु शुक्ला का प्रोफ़ाइल और पर्सनल मोमेंट
- जन्म: 10 अक्टूबर 1985, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ।
- शिक्षा: NDA, IAF Academy, IISC बैंगलोर से M.Tech. ।
- उड़ान अनुभव: Su-30, MiG‑21/29, Jaguar सहित 2000+ उड़ान घंटे ।
- ट्रेनिंग: यूरी गगारिन (रूस), NASA, ESA, JAXA जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में अंतरिक्ष अनुछन ।
- परिवार: पत्नी Kamna Shubha, एक बेटा, माता-पिता और दो बहने
Axiom-4 mission ISS Entry : सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ और देश की भावनाएं
- शुभांशु शुक्ला ने सोशल मीडिया पर लिखा
- “यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं, यह 4 अरब भारतीयों की यात्रा है।”
- ट्विटर पर #NamasteFromSpace और #ShubhanshuShukla ट्रेंड कर रहे हैं।
बॉलीवुड, विज्ञान जगत और आम जनता ने शुभाशीर्वाद और प्रतिक्रियाओं से उनका स्वागत किया।
Axiom-4 mission ISS Entry : देश के लिए गर्व, विज्ञान के लिए गर्व
शुभांशु शुक्ला का ISS पर प्रवेश सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं है यह भारत की वैज्ञानिक साख, अंतरिक्ष क्षमता और युवा पीढ़ी की प्रेरणा है। एक घंटे की डॉकिंग प्रक्रिया के साथ जब वह ISS में कदम रखेगा, वह भारत को निशान देगा कि अंतरिक्ष अनुसंधान अब तक की तुलना में सर्वाधिक संभव है।