(Tehelka desk)Axiom‑4 Mission:
अंतरिक्ष में एक बार फिर भारत का तिरंगा लहराने जा रहा है, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom‑4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे। 1984 में राकेश शर्मा की उस ऐतिहासिक उड़ान के 41 साल बाद यह भारत के लिए मेरीश्चनीय खामी मोड़ है।
Axiom‑4 Mission: शुभांशु शुक्ला, देश का बेटा पर समूचे विश्व का गर्व
- पहलू: IAF पायलट, टेस्ट पायलट और ISRO के Gaganyaan मिशन का हिस्सा
- एक्सपीरियंस: 2,000 से अधिक उड़ान घंटे (MiG‑29, Su‑30, Jaguar आदि)
- दूसरा भारतीय अंतरिक्ष यात्री: राकेश शर्मा के बाद पहला भारतीय जो ISS पर यात्रा करेगा
Axiom‑4 Mission: 21वीं सदी की स्पेस साझेदारी
- मिशन कमांडर: पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री Peggy Whitson
- क्रू में शामिल: पोलैंड और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ
- मिशन उद्देश्य: 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग, जिसमें ISRO/DBT के 7 विशेष भारतीय प्रयोग शामिल हैं
Axiom‑4 Mission: रॉकेट से ISS तक, एक रोमांचक यात्रा
- लॉन्च तिथि/स्थान: 25 जून 2025, NASA के केनेडी स्पेस सेंटर, FL, रॉकेट: SpaceX Falcon‑9
- ड्रैगन कैप्सूल “Grace”: लगभग 28 घंटे में ISS तक डॉकिंग
- अंतराल: मिशन की अवधि – लगभग 14 दिन, कॉकपिट में ‘तिरंगा’ साथ!
41 साल बाद भारत की वापसी
- इतिहासिक मेल: राकेश शर्मा की 1984 की Soyuz T‑11 उड़ान के बाद शुभांशु शुक्ला, DR देश का दूसरा नागरिक होगा जो सरकार प्रायोजित उड़ान पर ISS जाएगा
- अंतरराष्ट्रीय साझेदारी: भारत, पोलैंड और हंगरी की पहली अंतरराष्ट्रीय मिशन में सहभागिता
वैज्ञानिक प्रयोग और राष्ट्रीय गौरव
- माइक्रोग्रैविटी में खेती: मथी और मूंग जैसे पौधों का अध्ययन
- मांसपेशियों का परीक्षण: अंतरिक्ष में मानवीय शरीर की प्रतिक्रिया
- मिनी अल्गी बायोटेक: अंतरिक्ष खाद्य एवं पर्यावरण प्रयोग
- मनोवैज्ञानिक अनुमान: स्क्रीन ड्राइवेन काम और कॉग्निटिव रिस्पांसेज़
इन प्रयोगों का उद्देश्य गगनयान जैसी भविष्य की अभियान हेतु ज्ञान संग्रह करना है। ISRO‑NASA सहयोग एक नया अध्याय लिख रहा है।
शुभाषु की बात: गर्व के क्षण
लॉन्च के बाद उन्होंने हिंदी में कहा:
“मेरे कंधे पर तिरंगा है…” — यह यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे भारत का गर्व है
उनका मानना है कि यह मिशन न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत‑गर्व और वैश्विक सहभागिता का प्रतीक।
शुभ सफर
- लॉन्च से पहले कैप्सूल में चिह्नित भारतीय तिरंगा और मिशन पैच
- नए टैगलाइन “Hopes of a billion hearts” और अंतरिक्ष में तिरंगे का जुड़ाव
- ISS पर रहते हुए शुभांशु की तस्वीरें, उनके साथ निशानित तिरंगा
भारत के अगले कदम
- यह मिशन Gaganyaan (2027) की तैयारी हेतु चीनाई किया गया पहला पड़ाव है
- ISRO‑Axiom‑NASA सहयोग की नींव अगले दो दशक के स्पेस विजन को मजबूत बनाएगी
- Axiom का उद्देश्य है 2030 के बाद ISS का वर्चुअल प्रतिस्थापन – वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन
क्या बदल गया है?
क्षेत्र | बदलाव-पहचान |
राष्ट्रीय गौरव | भारत 41 वर्ष बाद इंसानी स्पेसफ्लाइट में जुड़ा |
वैज्ञानिक उपलब्धि | कृषि, स्वास्थ्य, माइक्रोग्रैविटी में उन्नयन |
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी | US‑Poland‑Hungary‑India सहयोग को मजबूती |
भविष्य की तैयारी | Gaganyaan व भारत का पहला स्वयं अंतरिक्ष स्टेशन |
तिरंगा अंतरिक्ष में एक बार फिर गूंजा
Axiom‑4 मिशन सिर्फ एक उड़ान नहीं — यह भारत की विज्ञान, तकनीक, अस्मिता और वैश्विक सहभागिता का पर्व है। शुभांशु शुक्ला का यह सफर युवा वैज्ञानिकों और नए मायनों की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
41 साल की प्रतीक्षा के बाद, अंतरिक्ष में फिर से लहराएगा तिरंगा — ये ऐतिहासिक क्षण भारतीय अंतरिक्ष इतिहास का नया अध्याय लिखेगा।