(Tehelka Desk)Artificial rain Delhi :
प्रदूषण ने दिल्ली को घेरा
सर्दियों में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर 400 के “Severe” स्तर को पार कर जाता है। PM2.5 और PM10 की जबरदस्त मात्रा से श्वसन रोगों में 20‑30% तक वृद्धि होती है इसने अस्पतालों को भी खाकशात कर दिया है ।
कृत्रिम बारिश क्या है और कैसे काम करती है
Cloud Seeding एक प्रकार की मौसम-संशोधन तकनीक है जिसमें विमान या ग्राउंड सिस्टम से क्लाउड्स में Silver Iodide, Potassium Iodide बर्फ छोड़ी जाती है। इससे बादलों में नमी संघनित होकर बारिश बनती है और यह हवा से धूल-कण, स्मॉग और प्रदूषण को धोकर ले जाती है ।
दिल्ली सरकार की नई पहल
- दिल्ली कैबिनेट ने हाल ही में इन ट्रायल्स को मंज़ूरी दी 3.21 करोड़ की परियोजना, जिसमें धारित है 5 उड़ानें, प्रत्येक ₹55 लाख की लागत प्रारंभिक सेटअप ₹66 लाख ।
- IIT कानपुर और मौसम विभाग (IMD) इसका वैज्ञानिक और तकनीकी मार्गदर्शन करेंगे। पहले ट्रायल के लिए उचित मौसम, बादल की चौड़ाई और नमी की मौजूदगी ज़रूरी है ।
- पहला चरण दिल्ली के बाहरी इलाकों में 100–300 वर्ग किलोमीटर में किए जाने की योजना है ।
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कितनी कारगर है यह तकनीक?
संभावित लाभ:
- संक्रमण क्षमता के आशय में PM2.5 व PM10 में कुछ घंटे या दिनों तक गिरावट ।
- कृषि और जलप्रबंधन में भी इसे उपयोगी माना गया है ।
विशेषज्ञों की चेतावनियाँ:
- Clouds की मौजूदगी, ठंडे बादल इत्यादि जैसे मौसम घटक अनुकूल होना आवश्यक है, जो हर बार मिलना सहज नहीं होता ।
- केवल लक्षणहीन राहत होती है, प्रदूषण स्रोतों को संबोधित न करना इसका प्रमुख नमक है ।
- संभावित रासायनिक प्रभाव जैसे सिरेबर जल स्त्रोतों में Silver Iodide का खतरा भी देखा जा रहा है ।
- खर्चा बहुत है 1 लाख प्रति sq km; 13 करोड़ तक की प्राथमिक लागत पहले ही खर्च हो चुकी है ।
पहले कहां-कहां हुआ प्रयोग?
- भारत में पहला क्लाउड सीडिंग परीक्षण 1952 में हुआ था; महाराष्ट्र, कर्नाटक और कनाडा में monsoon-area trials किए गए हैं ।
- विदेशों में अतिरिक्त प्रयोग:
- चीन ने बीजिंग ओलंपिक्स (2008) और 2021 में Yangtze में बारिश बढ़ाने हेतु क्लाउड सीड किया; UAE ने 2010 से ड्रोन-बेस्ड सीडिंग की, जो बारिश में 30–35% तक वृद्धि दिखाता है ।
आगे की राह क्या है?
- जनवरी‑दिसम्बर तक पाँच ट्रायल्स पूरे करके परिणाम देखे जाएंगे, उसके बाद विस्तृत वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार होगी ।
- दिल्ली सरकार को अब चाहिए वाहन, इंडस्ट्री और कृषि‑उत्सर्जन पर कड़े नियंत्रण, सिटी‑वाइड पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधार ।
- मीडिया और नागरिकों का ध्यान चाहिए कीर्तन बजारे में वैज्ञानिक निगरानी पारदर्शिता और सात्विक प्रदूषण नीति की ओर।
कृत्रिम बारिश या cloud seeding एक वैज्ञानिक तरीका है जो कचरा कम तो कर सकता है, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है—यह समस्या का तो अंत नहीं, एक अल्पकालीन उपचार है।
राष्ट्रीय राजधानी की हवा केवल तभी सचमुच साफ होगी जब प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित किया जाएगा—वाहन, उद्योग, विस्फोटक गतिविधियाँ, कृषि-आग सभी पर ध्यान दिया जाए।
इस तकनीक को चाहिए अत्याधिक शर्तीय और नियमबद्ध प्रशासन, वैज्ञानिक निगरानी, पर्यावरणीय सावधानी, तभी यह एक उपयोगी सहायक उपाय बन सकता है।