Anti-aging science : जवां दिखने की विज्ञान का कारोबार और शेफाली केस की अलार्मिंग कहानी
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(Tehelka Desk)Anti-aging science :
आज AI‑पहुंच वाले बायोटेक कंपनियां, शीर्ष वैज्ञानिक और टेक बिलियनेयर्स जैसे जेफ़ बेज़ोस, सैम ऑल्टमॅन और पीटर थिअल ले रहे हैं अरबों डॉलर इनोवेशन में, ताकि उम्र को पीछे धक्का दिया जा सके। ये कंपनियां सेलुलर रीजेनरेशन, सेनोलिटिक ड्रग्स, NAD, बूस्टर्स और सेलुलर रीप्रोग्रामिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा या उलट सकती हैं ।
Anti-aging science : क्यों इतना पैसा
- Altos Labs को पहले ही $3 बिलियन मिल चुके हैं, जो सेलुलर रीप्रोग्रामिंग के क्षेत्र में एक नया युग ला सकते हैं ।
- अन्य कंपनियाँ जैसे Unity Biotechnology, AgeX, Elysium Health आदि भी मधुमेह, हृदय रोग, संज्ञानात्मक असमर्थता जैसी आयु संबंधी बीमारियों पर काम कर रही हैं ।
Anti-aging science : ग्लूटाथियोन, NAD और IV ड्रिप्स
कॉस्मेटिक मार्केट में स्थापित सबसे हॉट ट्रेंड है IV ग्लूटाथियोन ड्रिप्स, अवनति-रोधी और त्वचा उज्जवलता के लिए। हाल की भाषा में, यह वह ‘बूटकैम्प’ नहीं जिसे वैज्ञानिक बॉक्स से मंज़ूरी मिले—बल्कि यह तेज़ परिणाम देने वाली अर्ध-गैर-क्लिनिकल प्रक्रिया है ।
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Anti-aging science : भारत में दरार
शेफाली जरीवाला (42 वर्ष) की अचानक मृत्यु—कार्डियक अरेस्ट ने इन Treatments को सवालों के घेरे में ला दिया:
- रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्होंने पिछले कई वर्षों तक 8–9 सप्लीमेंट्स साथ में लिए, साथ में ग्लूटाथियोन की IV ड्रिप्स भी ली, वो भी उपवास में ।
- डॉ. दीपाली भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि ऐसी प्रक्रियाएँ बिना मेडिकल सुपरविजन एंजायाफिलैक्सिस, हृदयाघात या अन्य गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं ।
- PLUS, कोस्मेटिक इंडस्ट्री में ‘फेक Cosmetologists MBBS न होने वाले ग्लूटाथियोन, बोटॉक्स या अन्य इंजेक्शन दे रहे हैं, जिसकी वजह से की कमी है ।
Anti-aging science : कुल मिलाकर, दो पहलुओं की गहराई
- वैज्ञानिक ये कह रहे हैं बायोटेक प्रेसिजन में तरीकों की सख्त सार्वजनिक और वैज्ञानिक जांच होनी चाहिए। इससे असरकारिता सत्यापित हो सके ।
- दूसरी ओर, कॉस्मेटिक उद्योग तेज़ दिखावे को बाज़ार देता है—जिसमें सस्ते IV ड्रिप्स, ग्लूटाथियोन वग़ैरह शामिल हैं, जो बिना मेडिकल बैकअप के जारी हैं ।
- अरबों डॉलर उम्र विरोधी विज्ञान में जा रहे हैं जहां सख्त नैतिक और वैज्ञानिक नियम अपनाए जा रहे हैं।
- लेकिन इंस्टा‑लव्ड Treatments जैसे ग्लूटाथियोन ड्रिप्स, बिना रेगुलेशन और असली मेडिकल बैकअप के चल रहे हैं जो शेफाली केस जैसी त्रासदियों को जन्म दे रहे हैं।
- इस झगड़े में मध्य रास्ता अपनाना ज़रूरी है: मेडिकल साक्ष्य, नैतिक जांच और कानूनी सतर्कता, ताकि कभी ऐसी कहानी दोबारा न बने।