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Amarnath Yatra 2025: बालटाल में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, कल से खुलेगा बाबा बर्फानी का दरबार

(Tehelka Desk)Amarnath Yatra 2025: 

जम्मू-कश्मीर के पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा इस साल एक बार फिर आस्था, उमंग और सुरक्षा के बीच शुरू होने जा रही है। बालटाल और पहलगाम बेस कैंपों में हज़ारों श्रद्धालु हर तरफ ‘बम बम भोले’ के जयकारों से माहौल को भक्तिमय बना चुके हैं। 3 जुलाई 2025 से यात्रा का औपचारिक शुभारंभ होगा, जो करीब 43 दिनों तक चलेगी। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने तैयारियां अंतिम चरण में पहुंचा दी हैं।

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 क्या है अमरनाथ यात्रा का महत्व?

Amarnath Yatra  हिंदू धर्म के सबसे कठिन लेकिन पवित्र तीर्थों में मानी जाती है। समुद्र तल से करीब 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बर्फ से स्वयंभू हिमलिंग बनता है, जिसे शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। तभी से हर साल लाखों शिव भक्त इस कठिन यात्रा पर निकलते हैं।

 बालटाल में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

बालटाल बेस कैंप इस यात्रा का सबसे व्यस्त रूट है। यहां से गुफा महज 14 किलोमीटर दूर है, जो पहलगाम रूट से छोटा लेकिन ज्यादा दुर्गम माना जाता है। बालटाल में हजारों श्रद्धालु पहले से ही पहुंच चुके हैं। टेंट सिटी पूरी तरह तैयार है, लंगरों में लगातार भंडारे चल रहे हैं और जगह-जगह बाबा बर्फानी के जयकारे गूंज रहे हैं।

कई श्रद्धालु तो ऐसे हैं जो हर साल यहां आते हैं। हर तरफ से एक ही आवाज़  “बम बम भोले, हर हर महादेव!”

 यात्रा कल से होगी शुरू

इस बार अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलेगी। इस दौरान करीब 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन के बाद ही यात्रा की इजाज़त दी है। हेल्थ चेकअप भी जरूरी किया गया है, ताकि ऊंचाई पर किसी को परेशानी ना हो।

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सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम

कश्मीर घाटी की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए अमरनाथ यात्रा के लिए भारी सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं। CRPF, BSF, ITBP, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना – सभी मिलकर सुरक्षा घेरा बनाए हुए हैं।

इस बार हाई-टेक सर्विलांस ड्रोन, RFID टैग, CCTV और सैटेलाइट फोन से भी निगरानी रखी जा रही है। यात्रा रूट के दोनों रास्तों – बालटाल और पहलगाम – पर सुरक्षा बलों ने चौकसी बढ़ा दी है।

जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने कहा है कि किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा बल पूरी तरह सतर्क हैं।

रूट और पड़ाव

बालटाल रूट – छोटा लेकिन कठिन, करीब 14 किलोमीटर की चढ़ाई।
पहलगाम रूट – लंबा लेकिन अपेक्षाकृत आसान, करीब 48 किलोमीटर का ट्रैक।

पहलगाम रूट से श्रद्धालु चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी होते हुए गुफा तक पहुंचते हैं।

मौसम की चुनौती

अमरनाथ यात्रा का सबसे बड़ा चैलेंज मौसम ही होता है। ऊंचाई ज्यादा होने से कभी भी बारिश, बर्फबारी या लैंडस्लाइड हो सकती है। मौसम विभाग ने कहा है कि शुरुआती हफ्तों में हल्की बारिश की संभावना है, इसलिए श्रद्धालुओं को जरूरी कपड़े और दवाएं साथ लाने की सलाह दी गई है।

 भंडारे और लंगर सेवा

अमरनाथ यात्रा सिर्फ आस्था नहीं बल्कि आपसी सहयोग और सेवा का भी प्रतीक है। बालटाल और पहलगाम में सैकड़ों संगठनों ने लंगर लगाए हैं। हर जगह चाय, दूध, हलवा, खिचड़ी और कढ़ी-चावल श्रद्धालुओं को मुफ्त परोसा जा रहा है।

लंगर चलाने वाले सेवक कहते हैं कि बाबा बर्फानी के दरबार में सेवा का मौका मिलना सौभाग्य की बात है।

 श्रद्धालुओं की खुशी

अमरनाथ यात्रा में दूर-दूर से आए श्रद्धालु अपनी कहानियां भी सुनाते हैं। इस बार भी कई बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे लंबी यात्रा पर निकल पड़े हैं। बालटाल में मिले हरियाणा के एक श्रद्धालु रमेश कुमार कहते हैं, “बाबा बर्फानी बुलाए बिना कोई नहीं आ सकता। हम तीसरी बार आए हैं। इस बार बेटे को भी साथ लाए हैं।”

 पिछले साल से क्या बदला?

पिछले साल अमरनाथ यात्रा में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ से कई श्रद्धालुओं को परेशानी हुई थी। इस बार प्रशासन ने उसी से सबक लेकर रूट में कई सुधार किए हैं। जगह-जगह शेल्टर बनाए गए हैं ताकि बारिश-बर्फबारी में लोग सुरक्षित रह सकें।

 प्रशासन की अपील

अमरनाथ श्राइन बोर्ड और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा शुरू करें, रजिस्टर्ड एजेंटों के साथ ही यात्रा करें और अफवाहों पर ध्यान न दें। यात्रा के दौरान मेडिकल चेकअप, मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवा को मजबूत किया गया है ताकि किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।

 अमरनाथ यात्रा, आस्था, चुनौती और विश्वास

हर साल लाखों शिवभक्त जिस आस्था से बर्फीले पहाड़ों में बाबा बर्फानी के दरबार में पहुंचते हैं, वो अपने आप में अद्भुत है। बालटाल में गूंजते ‘बम बम भोले’ के जयकारे इस बात का संकेत हैं कि श्रद्धा किसी भी मुश्किल को आसान कर सकती है।

अब देखना होगा कि इस बार यात्रा कितनी सुरक्षित और व्यवस्थित रहती है। लेकिन आस्था का उत्साह तो साफ दिख ही रहा है कि बाबा बर्फानी के भक्तों को कोई रोक नहीं सकता!

 

Muskan Kanojia

Asst. News Producer (T)

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